दायित्व प्राप्ति के साथ दायित्व बोध भी होना चाहिए

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दायित्व प्राप्ति के साथ दायित्व बोध भी होना चाहिए

साध्वी उदितयशा जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई के तत्वावधान में ज्ञानशाला प्रशिक्षकों का विशेष सेमिनार तेरापंथ भवन, साहूकारपेट में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ। सभा अध्यक्ष अशोक खतंग ने स्वागत भाषण में प्रशिक्षिकाओं को मंगलकामनाएं प्रेषित करते हुए ज्ञानशाला परिवार के प्रति अपनी शुभेच्छा व्यक्त की। साध्वी उदितयशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रशिक्षिकाओं को दायित्व की प्राप्ति के साथ-साथ दायित्व-बोध भी होना चाहिए। उन्होंने एक प्रेरणादायक कथा के माध्यम से यह बात सरलता से समझाई, जो सभी प्रशिक्षकों को सहज रूप से ग्राह्य हुई।
साध्वी संगीतप्रभा जी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत कर प्रशिक्षिकाओं को प्रेरित किया और कहा कि ज्ञानार्थियों के मन में प्रशिक्षकों के प्रति आदर का भाव जागृत हो, इसके लिए उनका आचरण और वेशभूषा प्रशिक्षकत्व की गरिमा को दर्शाने वाली होनी चाहिए। साध्वी भव्ययशा जी ने 14वां बोल एवं आचार्यों के नाम कंठस्थ करने की एक सहज और उपयोगी विधि बताई, जिससे बच्चे सरलता से याद कर सकें। साध्वी शिक्षाप्रभा जी ने गीत प्रस्तुति के साथ कहा कि प्रशिक्षिकाएं ज्ञानार्थियों के लिए मातृतुल्य होती हैं—पहले उन्हें अपनाएं, फिर समझें और समझाएं। इस अवसर पर लगभग 70 प्रशिक्षिकाओं सहित सभा अध्यक्ष अशोक खतंग, किलपॉक सभा अध्यक्ष अशोक परमार, ज्ञानशाला सह-प्रभारी अनिल बोथरा, आंचलिक संयोजिका अनीता चोपड़ा, सह-संयोजिका कविता रायसोनी एवं अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन ज्ञानशाला प्रभारी राजेश सांड ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन मंत्री गजेंद्र खांटेड ने प्रस्तुत किया।