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धर्मसंघ की यशस्वी साध्वी
साध्वीश्री बिदामांजी तेरापंथ धर्मसंघ की एक ऐसी विलक्षण साध्वी थी, जो बहुत अधिक पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन विनय, विवेक और स्वाध्याय में अग्रणी थी। वे ऐसी पुण्यशालिनी सहवर्तिनी साध्वी थी, जिनकी अग्रगण्य जैसी अधिक सेवा हुई। शतक पार करने के बाद भी दिन में अधिकांश समय बैठे-बैठे ध्यान, स्वाध्याय और जप करती रहती थी। जब से मैंने उनके दर्शन किए। मेरे मन में उनके प्रति एक अतिरिक्त श्रद्धा के भाव थे। उनकी स्मरण शक्ति को देखकर मैं दंग रह जाती थी। उन्होंने वर्षों पहले जब मेरा जन्म भी नहीं हुआ था, तब इंदौर चातुर्मास किया था। वर्षों तक मोदी परिवार को शय्यातर का लाभ मिला। मैं जब भी उनके दर्शन करती, तब में मेरे संसार पक्षीय दोनों दादाजी-नेमीचन्द मोदी और गेंदालाल मोदी तथा बड़े पिता सज्जनसिंह, इंदरचन्द के नाम बता देती थीं। एक बार रमेश बोहरा, वी. सी. साहब, बच्छराज दूगड़ एवं लूंकड जी के साथ हम दो समणी कालू गए। उन्होंने रमेश बोहरा की मां का नाम बता दिया। बोहरा आश्चर्यचकित थे कि इतने साल के बाद भी इनको नाम कैसे याद हैं?
108 की माला पूरी होने में उनके कुछ मास ही बाकी थे, यदि कुछ समय और संयम पर्याय पालती तो स्वयं पूज्य गुरुदेव भी उन्हें दर्शन देने हेतु पधारने वाले थे। तेरापंथ संघ की एक महान साध्वी, जिसने सबके मन में अपना विशिष्ट स्थान बनाया, संघ की प्रभावना की, उनके आध्यात्मिक विकास के प्रति मंगलकामना।