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सौभाग्यशाली व्यक्ति ही संयम मार्ग पर आगे बढ़ता है
स्थानीय तेरापंथ भवन में कोबा अहमदाबाद में आचार्य महाश्रमण जी के करकमलों से दीक्षा ग्रहण करने जा रही मुमुक्षु साधना बांठिया का साध्वी जिनरेखा जी के सानिध्य में अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर साध्वी जिनरेखा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जैन दीक्षा ग्रहण करने का अर्थ है संयम का उत्कृष्ट भाव मन में लाना और उसी मार्ग पर चलने के लिए मन, वचन, कर्मों में एकरूपता लाना। व्यक्ति के जीवन में त्याग की भावना प्रबल रूप में होनी चाहिए। इसी त्याग की भावना को आत्मसात करने का माध्यम दीक्षा है।
मुमुक्षु साधना अपने जीवन को उच्च स्तर पर ले जाकर आत्मकल्याण के लिए दीक्षा का मार्ग अपनाने जा रही है। यह साधु जीवन वास्तव में जीवन का कल्याण करने वाला मार्ग है। संयम की साधना का आनंद अनुपम व उत्कृष्ट होता है। मुमुक्षु साधना अपने जीवन में निरंतर आध्यात्मिक उन्नति पथ पर बढ़ती रहे। साध्वी मार्दवयशा जी ने संयम जीवन की महत्ता बताते हुए कहा कि यह संयम पथ भव-भव के बंधनों से मुक्ति का श्रेष्ठ मार्ग है। इस हेतु मुमुक्षु महाव्रतों की साधना के लिए आगे बढ़ रही है और इसी पर आधारित सुंदर गीतिका के माध्यम से श्रावक समाज को प्रेरणा दी। मुमुक्षु साधना बांठिया ने कहा कि इस भौतिकता के युग में व्यक्ति को खुद की खुद से पहचान करने के लिए संयम जरूरी है। सभी श्रावकों को संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए साध्वीवृंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
इस अवसर पर साध्वी मधुरयशा जी, साध्वी श्वेतप्रभा जी, साध्वी धवलप्रभा जी और साध्वी मार्दवयशा जी का मंगल सानिध्य प्राप्त हुआ। दोपहर में मुमुक्षु राजुल खटेड़ का महिला मंडल द्वारा अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष राकेश जैन, महिला मंडल अध्यक्ष अनिता जैन, मंत्री कंचन मालू, प्रियंका गोलेच्छा, रमेश चौपड़ा, धनी बाई गोलेच्छा आदि ने गीत, भाषण और कविता के माध्यम से मुमुक्षु के प्रति मंगलकामना व्यक्त की। कार्यक्रम का कुशल संचालन मनोज चौपड़ा ने किया।