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मानसिक सन्तुलन बढ़ाने का उपाय- प्रेक्षाध्यान
साध्वी जिनबालाजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा भवन, भीनासर में प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 100 व्यक्तियों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई। साध्वीश्री ने शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेक्षाध्यान के माध्यम से हम किसी भी प्रकार के स्वभाव को बदल सकते हैं। जिनके भीतर आवेश और आवेग के तूफान उठते हैं, वे भी प्रेक्षाध्यान से शांत हो सकते हैं। प्रेक्षाध्यान से बुरी आदतों का परिष्कार होता है, मन में स्थिरता आती है और मानसिक संतुलन बढ़ता है। चैतन्यकेन्द्र प्रेक्षा, अनुलोम-विलोम आदि प्रयोगों से व्यक्ति ऊंचा उठ सकता है।
साध्वी करुणाप्रभाजी ने प्रेक्षाध्यान साधकों को रोगमुक्ति के उपाय बताते हुए सूर्य मुद्रा, अपान मुद्रा, वायु मुद्रा आदि अनेक मुद्राओं का अभ्यास करवाया। साध्वी भव्यप्रभाजी ने प्रेक्षाध्यान के अंतर्गत अनुप्रेक्षा का महत्व बताते हुए सहिष्णुता की अनुप्रेक्षा का प्रयोग कराया। साध्वी प्राचीप्रभाजी ने प्रेक्षाध्यान से संबंधित सुंदर भक्ति संगीत का संगान किया। सायंकालीन कार्यक्रम के अंतर्गत साध्वी जिनबालाजी के सान्निध्य में साध्वी करुणाप्रभाजी के निर्देशन में "सवाल हमारे - जवाब हमारे" प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जो ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ अत्यंत रोचक भी था। इस प्रतियोगिता में कुल 30 समूहों ने भाग लिया। प्रथम स्थान रोहित व मनीषा सेठिया ने, द्वितीय स्थान राजेंद्र व प्रियंका भुगड़ी ने तथा तृतीय स्थान सुनीता रांका व चंचल चोरड़िया ने प्राप्त किया। सभी विजेताओं को तेरापंथ युवक परिषद की ओर से पुरस्कृत किया गया।