सुखमय जीवन की बुनियाद है व्रत

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पूर्वांचल कोलकाता।

सुखमय जीवन की बुनियाद है व्रत

मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन में बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद्, पूर्वांचल द्वारा भिक्षु विहार में किया गया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि व्रत सुखमय जीवन की बुनियाद है। व्रत दीक्षा का अर्थ है – असत् से विरति, असंयम से विरति और संयम की ओर प्रस्थान। व्रत संतोष और शांति का साधन है। जिस प्रकार गाड़ी में ब्रेक का महत्व है, उसी प्रकार जीवन में व्रत का महत्व है। व्रत से संकल्प शक्ति, इच्छा शक्ति और एकाग्रता का विकास होता है, जिससे तन, मन और भाव स्वस्थ रहते हैं। मुनि श्री ने आगे कहा कि भगवान महावीर ने गृहस्थ के लिए बारह व्रतों की साधना का विधान किया है। सभी श्रावक-श्राविकाओं को व्रत दीक्षा स्वीकार कर बारह व्रती बनने का संकल्प करना चाहिए। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ युवक परिषद्, पूर्वांचल के अध्यक्ष राजीव बोथरा ने स्वागत भाषण दिया तथा मंत्री सिद्धार्थ दुधेड़िया ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया।