सप्त दिवसीय बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का आयोजन

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पल्लावरम।

सप्त दिवसीय बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का आयोजन

पल्लावरम स्थित तेरापंथ भवन में मुनि दीपकुमार जी के सान्निध्य में सप्त दिवसीय बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद चेन्नई द्वारा हुआ। मुनि दीप कुमार जी ने कहा- बारह व्रत अहिंसक समाज की संरचना का एक विस्तृत प्रारूप है। इसे शोषण मुक्त स्वस्थ समाज रचना की आचार संहिता भी कहा जा सकता है। गृहस्थ के लिए संपूर्ण हिंसा का परिहार संभव नहीं है उसके अनावश्यक हिंसा को छोड़ना ही अहिंसक समाज की संरचना में योगभूत बनना है।
मुनिश्री ने कहा कि जीवन को प्रायोगिक बनाने की एक प्रक्रिया है प्रत्याख्यान। इस विषय में भगवान महावीर ने श्रावक के लिए बारह व्रत की व्यवस्था दी। मुनिश्री ने आगे कहा- दो शब्द हैं श्रावक और अनुयायी। सामान्यतः इन्हें एक ही माना जाता है पर इनमें बड़ा अंतर है अनुयायी का अर्थ होता है पीछे चलने वाला और श्रावक का अर्थ होता है व्रत ग्रहण करने वाला। मुनिश्री ने विस्तार से अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य आदि अणुव्रतों के बारे में 7 दिनों तक समझाया। तेरापंथ युवक परिषद चेन्नई के सह मंत्री श्रीकांत चौरड़िया ने बारह व्रत कार्यशाला की जानकारी देते हुए व्रत दीक्षा पुस्तिका के बारे में बताया।