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आत्मा को निर्मल-पावन बनाने तपस्या आवश्यक
'शासन गौरव' साध्वी राजमती जी ने कहा कि व्यक्ति कर्मबंधन करता है और पूर्व जन्मों के संचित कर्म आत्मा पर आवरण स्वरूप रहते हैं। इन कर्मरूपी कचरों को हटाकर आत्मा को निर्मल एवं पावन बनाने का एकमात्र साधन तपस्या है। उन्होंने तपस्वी गोपाल पारख के पाँचवें मासखमण तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि यह तप हिम्मत और गुरुनिष्ठा का अनुपम उदाहरण है। कार्यक्रम में साध्वी वृंद एवं महिला मंडल ने तप अभिनन्दन में गीत का संगान किया। साध्वी कुमुदप्रभा जी, प्रियंका पारख, सुनील बैद एवं मनोज पारख परिवार ने तपस्या के महत्व, मनोबल और गुरु भक्ति पर अपने विचार रखे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन साध्वी समताश्री जी ने किया। अभिनंदन पत्र का वाचन उपाध्यक्ष लाभचन्द्र छाजेड़ ने किया। तपस्वी गोपाल पारख ने कहा कि गुरुदेव एवं शासन गौरव की प्रेरणा से ही उन्होंने यह तप पूरा किया है। कार्यक्रम का कुशल संचालन उपासक अनुराग बैद ने किया।