शिक्षण, परीक्षण व समीक्षण का कार्य करती है पारमार्थिक शिक्षण संस्था : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कोबा, गांधीनगर। 07 सितम्बर, 2025

शिक्षण, परीक्षण व समीक्षण का कार्य करती है पारमार्थिक शिक्षण संस्था : आचार्यश्री महाश्रमण

प्रेक्षा विश्व भारती कोबा, गांधीनगर, गुजरात में भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा के दिन परम पूज्य युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की पावन सन्निधि में पारमार्थिक शिक्षण संस्था का तृतीय अधिवेशन आयोजित हुआ। अधिवेशन के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष बजरंग जैन ने संस्था की गति-प्रगति की प्रस्तुति दी। तत्पश्चात् समणी अमलप्रज्ञाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुमुक्षु सेजल द्वारा संस्था के अनुभव एवं मुमुक्षु भावना द्वारा संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। संस्था की बहिनों द्वारा एक लघुनाटिका का मंचन किया गया। इस अवसर पर गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने पूज्य गुरुदेव के दर्शन किए।
अधिवेशन में साध्वीवर्या श्री संबुद्धयशाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सक्षम नेतृत्व के फलस्वरूप प्रारंभिक विरोधों के बावजूद भी आज यह संस्था निरन्तर विकास की ओर प्रवर्धमान है। किसी संस्था की शुरूआत करना आसान हो सकता है, परन्तु उसे निरन्तर आगे बढ़ाते हुए सम्यक् दिशा प्रदान करना बहुत कठिन कार्य है। पारमार्थिक शिक्षण संस्था को ऐसे अनुशास्ता का योग मिला कि यह संस्था अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर गतिशील है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पारमार्थिक शिक्षण संस्था, परम पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी के सकारात्मक और सुदृढ़ चिन्तन की निष्पत्ति है। पारमार्थिक शिक्षण संस्था को यूनिक संस्था का दर्जा देते हुए साध्वीप्रमुखाश्री जी ने कहा कि यह संस्था जीवन निर्माण की ओर ध्यान दे रही है और इसमें रहने वाले हर मुमुक्षु का ध्यान जीवन के विकास की ओर फोकस रहता है। यह यूनिक इसलिए भी है क्योंकि इसे एक आचार्य का नेतृत्व प्राप्त हो रहा है। गुरुदेव तुलसी ने इसके विकास के बारे में चिंतन किया, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने इसे आगे बढ़ाया, और वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमणजी मुमुक्षु बहिनों और बोधार्थी बहिनों के विकास के लिए नये-नये सपने देख रहे हैं।
मुख्यमुनि श्री महावीर कुमार जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि पारमार्थिक शिक्षण संस्था तेरापंथ धर्मसंघ की एक अद्भुत संस्था है, जिसमें वे ही साधक प्रविष्ट हो सकते हैं, जो परमार्थ को समर्पित होना चाहते हैं। जो मोक्ष के, कल्याण के इच्छुक होते हैं, वे ही साधक इसमें साधना करके अपने आपको परमार्थ के प्रति समर्पित कर पाते हैं। इस संस्था में लौकिक और लोकोत्तर दोनों प्रकार का ज्ञान दिया जाता है। साधु-साध्वियों को दीक्षा से पूर्व जिस प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, उसकी पूर्व भूमिका में यह संस्था वरदान की तरह कार्य कर रही है। परम पूज्य गुरुदेव ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आज भाद्रव मास का अंतिम दिन है। भाद्रव मास में पर्युषण का अष्टान्हिक कार्यक्रम और दशलक्षण का आयोजन भी होता है तथा धर्माराधना का क्रम चलता है।
आज का दिन तेरापंथ के अष्टम आचार्य श्री कालूगणी से जुड़ा हुआ है। आज उनका पट्टोत्सव दिवस है। इसी दिन संघ को अष्टम आचार्य प्राप्त हुए थे, जिनका विकास की दृष्टि से विशेष योगदान है। ऐसे आचार्य मिलना संघ का सौभाग्य है। हमारे धर्म संघ में साधु-साध्वियों के दीक्षा पूर्व शिक्षण व प्रशिक्षण का एक रूप है – पारमार्थिक शिक्षण संस्था। इसका प्रारंभ आचार्यश्री तुलसी के काल में हुआ, परन्तु इसका चिंतन आचार्यश्री कालूगणी के समय में हुआ। यह संस्था एक प्रकार से आचार्यश्री भिक्षु की दृष्टि को पूर्ण कर रही है। आचार्यश्री भिक्षु की दृष्टि थी कि दीक्षा जांच परख कर दी जाए। इस संस्था में शिक्षण, परीक्षण व समीक्षण तीनों कार्य हो रहे हैं। मुमुक्षु वैराग्य के वातावरण में रहकर अपने जीवन का विकास कर रहे हैं। मुमुक्षु बहिनें संस्था में रहती हैं, परन्तु परोक्ष रूप से मुमुक्षु भाई भी उससे जुड़े हुए हैं। अगले वर्ष योगक्षेम वर्ष में इस संस्था को और ऊंचाइयां प्रदान की जा सकती हैं। इस कार्य में समणियों का योगदान रहता है। ज्ञान के विकास से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है संयम का विकास। मुमुक्षु अपेक्षानुरूप साधु-साध्वियों की मार्गवर्ती सेवा तथा अन्य प्रकार की सेवा में सहयोगी बनें और पर्युषण यात्रा में भी सहभागी बनकर श्रावकों की धर्म साधना को विकासोन्मुख बनाएं।