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आत्मा को पाने के लिए शरीर को तपाना पड़ता है
अग्रहार स्थित तेरापंथ भवन में साध्वी सिद्धप्रभा जी ने निशा देरासरिया को मासखमण (30) की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। साध्वीश्री ने उपस्थित जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार घी को पाने के लिए बर्तन को तपाने की जरूरत होती है, वैसे ही आत्मा को पाने के लिए शरीर को तपाना पड़ता है। शरीर तपता है तो आत्मा तपती है। तप से आत्मा भावित होती है तथा तपस्या के साथ समता की साधना जरूरी होती है। साध्वी वृंद ने तपस्वी की अनुमोदना में स्वरचित गीतिका का संगान किया। साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन सभा मंत्री दिलीप पितलिया ने किया। इस अवसर पर साध्वीश्री के आह्वान पर लगभग 15 व्यक्तियों ने तेले व उससे अधिक की तपस्या के संकल्प के साथ तपस्विनी बहन का अनुमोदन किया। परिवार जनों ने अपने वक्तव्य और गीतों से तपस्या का अनुमोदन किया। सभा अध्यक्ष प्रकाश दक व युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद मुणोत व महिला मंडल अध्यक्ष विजय लक्ष्मी आच्छा ने तप का अनुमोदन किया। कार्यक्रम में सकल जैन समाज उपस्थित रहा।