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मासखमण तप अभिनन्दन कार्यक्रम सम्पन्न
मासखमण तपस्वी अमिता बोथरा के अभिनन्दन कार्यक्रम में मुनि अर्हत कुमारजी ने कहा कि तप आत्मशोधन की एक विलक्षण प्रक्रिया है। तपस्या भव पार कराने वाली एक विशेष नौका है। तप वह प्रकाशपुंज है जो जीवन को रोशन करने के साथ आत्मा को भी भावित करता है। तप की अलौकिक ज्योति से अन्तर तिमिर आत्म प्रकार से परिवर्तित हो जाता है। तपस्या वह मंगलकलश है, जिसके जल को पीने वाला हर व्यक्ति मंगलमय बन जाता है। वह प्रकाशदीप है, जो जिंदगी की हर अंधेरी गली को रोशनी से भर देता है।
मुनि भरतकुमारजी ने कविता के माध्यम से मोक्ष के द्वार में तप का विशेष महत्व प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में बोथरा परिवार एवं मालू परिवार की बहनें और भाइयों ने तप अनुमोदनार्थ सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। तपस्वी अमिता बोथरा के जीवनसाथी सोहित बोथरा ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष निर्मल नाहटा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन किया। तत्पश्चात् तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष सुमन दुग्गड़ और युवक परिषद अध्यक्ष श्रेणिक घीया ने अपने अभिनन्दन भाव प्रस्तुत किए। साथ ही नागपुर से पधारे तेरापंथ युवक परिषद की टीम ने तप गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा के मंत्री राकेश भंडारी ने अभिनन्दन पत्र का वाचन किया। मासखमण तपस्वी का अभिनन्दन साहित्य एवं अभिनन्दन पत्र से किया गया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन मुनि जयदीप कुमारजी ने किया।