मुक्ति एवं शुद्धि का सशक्त साधन है तपस्या

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मुक्ति एवं शुद्धि का सशक्त साधन है तपस्या

साध्वी सम्यकप्रभाजी के सान्निध्य में तपस्वी विमला देवी श्रीमाल के सिद्धि तप का तप अनुमोदना कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र व जेटीएन प्रतिनिधि पवन कच्छारा के मंगलाचरण से हुआ। साध्वी सम्यकप्रभाजी ने श्रावक समाज को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन मुक्ति एवं जीवन शुद्धि का सशक्त साधन है तपस्या। गौतम स्वामी ने भगवान महावीर से पूछा – भंते! तप से जीव को क्या प्राप्त होता है? भगवान ने कहा – तपस्या से पूर्व संचित कर्मों का क्षय होता है। साध्वी मलयश्री जी ने बताया कि भारतीय परंपरा में तप का बड़ा महत्व है। जैसे अग्नि का ताप शुद्धि करता है, वैसे ही योगों की स्थिरता भी एक बहुत बड़ा ताप है, जिससे चेतना पर जमा हुआ मैल पिघल कर बह जाता है। तप अभिनंदन के क्रम में तेरापंथ सभा निवर्तमान अध्यक्ष देवेंद्र कुमार मेहता, महिला मंडल अध्यक्ष मंजू देवी हिरण, अनीता श्रीश्रीमाल, महिला मंडल बहनों ने सुमधुर गीतिका व संभाषण द्वारा तपस्वी का तप अनुमोदन किया। तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वी का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष ज्ञानेश्वर मेहता ने किया।