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जयाचार्य की अन्त: प्रज्ञा से ज्योतित है तेरापंथ
रामनिवास बाग में स्थित जय स्मारक पर 145 वां जयाचार्य निर्वाणोत्सव का आयोजन मुनि तत्त्वरुचि जी 'तरुण' के सान्निध्य में हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि गौतम दक उड्डयन मंत्री राजस्थान सरकार उपस्थित थे। तेरापंथ युवक परिषद के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत परिषद के युवकों द्वारा ‘लक्ष्य है ऊंचा हमारा’ विजय गीत की प्रस्तुति से हुई। मुनि तत्त्व रुचि जी ‘तरुण’ ने कहा - समूचा तेरापंथ धर्म संघ जयाचार्य का विशेष आभारी रहेगा। कारण कि आज तेरापंथ धर्मसंघ जिस ऊंचाइयों पर है उसमें जयाचार्य की जागृत प्रज्ञा का बहुत बड़ा योगदान है। समय-समय पर उनकी अंतर प्रज्ञा ने संगठन को विघटन की दिशा में जाने से बचाया है।
मुनिश्री ने कहा कि आज तेरापंथ जयाचार्य की अन्त: प्रज्ञा से ज्योतित है। मंत्री गौतम दक ने कहा - दुनिया में और जैन जगत में तेरापंथ की अलग महिमा है। जहां कहीं तेरापंथ का नाम आता है वहां पर मर्यादा और अनुशासन से उसकी पहचान होती है। उन्होंने कहा – ‘निज़ पर शासन फिर अनुशासन’ तेरापंथ का उद्घोष है। मंत्री जी ने कहा हमारे आचरण जैनत्व के अनुकूल हों, जैन धर्म का गौरव बढ़ाने वाले हों। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल सी-स्कीम और तेरापंथ महिला मंडल शहर की बहनों ने पृथक-पृथक गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष रवि छाजेड़ ने स्वागत भाषण, तेरापंथ सभा अध्यक्ष शांतिलाल गोलछा ने व श्रेयांश बेगाणी ने सामूहिक भावांजलि पत्र का वाचन किया। मौके पर समाज की सभी संस्थाओं व समाज जनों ने सामूहिक रूप से श्रीमद् जयाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के प्रायोजक ओमप्रकाश जैन ने अपने श्रद्धा भाव व्यक्त किये। कार्यक्रम का कुशल संचालन सौरभ जैन ने किया। आभार ज्ञापन तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री शरद बरड़िया ने किया।