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‘हाउ टू बी ए मिलेनियर’ कार्यशाला का आयोजन
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा विजयनगर द्वारा अर्हम भवन में 'How to be a Millionaire' विषय पर कार्यशाला का आयोजन साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र एवं भिक्षु स्तुति के संगान के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महासभा के भूतपूर्व अध्यक्ष हीरालाल मालू ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अमीर की परिभाषा बहुत व्यापक है। यहाँ अमीर का अर्थ मात्र पैसे से अमीर बनना नहीं अपितु चारित्र और आध्यात्मिकता से भी अमीर बनना है।
आठ कर्मों में एक अंतराय कर्म ऐसा है, जिसका जितना हल्कापन होता है, हमारी आध्यात्मिक अमीरी उतनी ही बढ़ने लगती है। जीवन में जो भी कार्य करो, उसमें रुकावट डालने वाले अनेक निमित्त आएंगे, किंतु उन्हें रोककर अंतराय कर्म को क्षीण करने का प्रयत्न करना आवश्यक है। सामाजिक रूप से अमीर बनने के लिए पुरुषार्थ आवश्यक है, किंतु उसके साथ पुण्य का उदय भी अत्यंत जरूरी है। पुण्य का अर्जन हम किस प्रकार कर सकते हैं, इसके लिए उन्होंने सुझाव दिए कि संघ की सेवा करके, दान देकर पुण्य का अर्जन किया जा सकता है। अमीर वही है जो अपनी सुविधाओं की पूर्ति के साथ-साथ जनकल्याण में भी सहभागी बनता है। हम वास्तव में अमीर तभी हैं, जब हम अपनी माता-पिता की सेवा करें, उनकी इच्छाओं का सम्मान करें। हमारी असली अमीरी हमारे संस्कार और हमारी वाणी है। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी मार्दवश्रीजी ने किया।