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मासखमण तप अभिनन्दन समारोह
स्थानीय आदिनाथ भवन में विराजित 'शासनश्री' साध्वी संयमश्री जी के सान्निध्य में सुभाष चंद्र बैद की 27 दिनों की निराहार तपस्या का अभिनंदन कार्यक्रम साध्वी प्रसिद्धप्रभाजी के नवकार मंत्र से शुरू हुआ। इस अवसर पर साध्वी सहजप्रभाजी ने कहा कि संसार का प्रत्येक प्राणी मंगल चाहता है। लौकिक दृष्टि से जितना मंगल का महत्व है, उतना ही आध्यात्मिक दृष्टि से है। धर्म को उत्कृष्ट मंगल बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप के साथ में आराधना होने पर धर्म सर्वश्रेष्ठ मंगल हो जाता है। जो व्यक्ति स्वाधीनता पूर्वक अपने कान्त, प्रिय भोगों को त्याग देता है, उसी का अभिनंदन होता है। सुभाष चंद्र बैद ने भी अपनी संकल्प शक्ति के बल पर गुरु के आशीर्वाद व परिवार के सहयोग से 27 दिनों का मासखमण कर कीर्तिमान स्थापित किया है। साध्वीश्री ने कहा कि तपस्या कर्मों की निर्जरा के लिए की जाती है। इससे आत्मा पर चिपके कर्म झड़ते हैं। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी के संदेश का वाचन तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री विनीत भूतोड़िया ने किया। साध्वी संप्रतिप्रभाजी, तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मोतीलाल तातेड, मंत्री कमल सिंह बैद, महिला मंडल, दिव्या जैन, ओमप्रकाश सारस्वत, नीरज बैद आदि ने भी तपस्वी का शाब्दिक अभिनंदन किया। बैद परिवार की बहनों ने तपस्या पर रोचक परिसंवाद प्रस्तुत किया। अभिनंदन पत्र का वाचन सभा के उपाध्यक्ष तेजपालसिंह गुर्जर ने किया एवं सभा के सभी पदाधिकारियों ने अभिनंदन पत्र भेंट कर तपस्वी का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सहजप्रभाजी ने किया।