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जीवन में कर्म से अधिक धर्म का पलड़ा रहे भारी
भगवान महावीर ने मोक्ष के चार मार्ग – ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप – बताए हैं। जीवन में कर्म से अधिक धर्म का पलड़ा भारी रहता है। व्यक्ति तप के साथ जप-साधना करें। पूर्व संचित पुण्याई से लंबी तपस्याएँ होती हैं। निर्मल भूरा सामाजिक-धार्मिक क्षेत्र में बखूबी कार्य करते हैं। प्रतिवर्ष तपस्या करना विशेष बात है। यह उद्गार 'शासन गौरव' साध्वी राजीमती जी ने निर्मल भूरा के 19 दिन की तपस्या के अभिनंदन पर कहे। तेरापंथ महिला मंडल एवं भूरा परिवार की महिलाओं ने तप अभिनंदन गीत 'तप की आई बहार' से हॉल को गुंजायमान कर दिया। पुत्र अभिषेक ने तप की पावनता, निर्मलता पर प्रकाश डालते हुए बधाई दी। साध्वी वृंद द्वारा 'तप सरिता में नहाए' गीत का संगान किया गया।
अणुव्रत समिति अध्यक्ष रमेश व्यास, कवि इन्द्रचंद बैद, महिला मंडल अध्यक्षा प्रीति मरोठी, सभा मंत्री मनोज घीया, तेयुप अध्यक्ष निर्मल चौपड़ा, मांगीलाल संचेती ने अभिनंदन भाव व्यक्त किये। 19 दिन की तपस्या समापन पर स्वयं नगरपालिका उपाध्यक्ष निर्मल कुमार भूरा ने तप करना आचार्य श्री महाश्रमण की कृपा एवं साध्वीश्री की प्रेरणा व पारिवारिक सहयोग बताया।
कुशल संचालन करते हुए जयश्री भूरा ने पति-पत्नी का तप में साथ होना सौभाग्य बताया। तेरापंथ सभा, महिला मंडल, युवक परिषद द्वारा तपस्वी निर्मल कुमार भूरा का मोमेंटो, अभिनंदन पत्र, साहित्य भेंट कर अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन सुशील भूरा ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य महानुभव उपस्थित रहे। गायक पूनम व चांदनी ने मधुर आवाज़ में भजन प्रस्तुत किए।