
रचनाएं
बोलो जय-जय भिक्षु स्वाम
विघ्न हरण ओ मंगलकारी, भय बाधा हारी, ये मन्त्र चमत्कारी।
ॐ भिक्षु स्वाम, बोलो जय-जय भिक्षु स्वाम।
ओऽऽऽ दीपां मां के लाल दुलारेऽऽऽऽ
बल्लु शा के कुल उजियारे,
कंटालिय के राम, मेरे स्वाम भिक्षु स्वाम,
ॐ भिक्षु स्वाम, बोलो जय-जय भिक्षु स्वाम।।
होऽऽऽ हम सब की आंखों के तारे,
भक्तों के हो तुम रखवारे।
सिरियारी के स्वाम, मेरे स्वाम भिक्षु स्वाम।।
होऽऽऽ जो कोई तुमको मन से ध्याता,
भव सागर से वह तर जाता।
जपोऽ सुबह - शाम, रटो नाम भिक्षु स्वाम।।
होऽऽऽ संकट की घङियों में जो ध्याये,
उसके सब संकट कट जाये।
मन्त्र यह महान, जपो सुबह और शाम।।
होऽऽऽ वीर प्रभु पथ के उद्गाता,
तेरापंथ के भाग्य विधाता।
मरुधर के मंदार, मेरे स्वाम भिक्षु स्वाम।।
लय - रामायण चौपाई