
रचनाएं
ॐ जय दीपानंदन
ॐ जय दीपानंदन,
तुमको प्रतिपल ध्याऊं, श्रद्धा से वन्दन।।
मंत्राक्षर है नाम तुम्हारा, भय भंजन हारा।
मेरे सांस-सांस में, गूंजे तव स्पंदन।।
अंधेरी ओरी में तुमने पहला वास किया।
चकित हुए नर-नारी, महके मन उपवन।।
ज्ञान दीप कर में ले तुमने, तम को दूर किया।
आंधी और तूफां में, नहीं डोला तव मन।।
रोग शोक में जो भी लेता, भिक्षु का शरणा।
कट जाता सब संकट, बनता मन पावन।।
रूपां का खोड़ा टूटा जब, श्रद्धा बल जागा।
तन्मय बन जो गाता, भिक्षु-भिक्षु भजन।।
लय - जय महावीर भगवान