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जीवन को सजाने का महत्वपूर्ण माध्यम है ज्ञानशाला
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई के तत्वावधान में ज्ञानशाला दिवस का कार्यक्रम तीन स्थानों पर मनाया गया। तेरापंथ भवन, साहूकारपेट में साध्वी उदितयशा जी के सान्निध्य में यह कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ। पहले सत्र में प्रशिक्षकों एवं ज्ञानार्थियों द्वारा गीतिका एवं मंचीय प्रस्तुतियाँ दी गईं। दूसरे सत्र में 25 बोल एवं अन्य धार्मिक प्रतियोगिताओं के माध्यम से ज्ञानार्थियों का ज्ञानवर्धन तथा मनोरंजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ।
साध्वी उदितयशा जी ने उद्बोधन में प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा – जीवन को सजाने और संस्कारों को पाने के लिए ज्ञानशाला एक महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने अभिभावकों को बच्चों की परवरिश के संबंध में भी सारगर्भित संदेश दिए। अध्यक्ष अशोक खतंग ने स्वागत वक्तव्य में ज्ञानशाला परिवार को बधाई देते हुए कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त कीं। सभा के मंत्री गजेंद्र खांटेड का कार्यक्रम संपादन में पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। ज्ञानशाला प्रभारी राजेश सांड ने सभी प्रशिक्षकों एवं अभिभावकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुति दी। मंचीय प्रस्तुति में ज्ञानार्थियों ने 'आओ ज्ञानशाला' गीत की संयुक्त प्रस्तुति दी। नाटक के माध्यम से उन्होंने जैन धर्म के विभिन्न चरित्रों का प्रभावी चित्रण किया।
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन साध्वी संगीतप्रभा जी ने किया। व्यवस्था पक्ष में नीरज गोगड़, देवेंद्र सुराणा, मनोज सेठिया, कमलेश सिंघवी आदि का पूर्ण सहयोग रहा। कार्यक्रम में श्रावक समाज की गरिमामयी उपस्थिति के साथ ज्ञानशाला सह-प्रभारी अनिल बोथरा भी उपस्थित थे। चेन्नई क्षेत्र की 25 ज्ञानशालाओं में से 12 शाखाओं के 188 ज्ञानार्थी एवं 78 प्रशिक्षकों की सहभागिता रही।