जीवन जीने की कला सिखाई आचार्यश्री तुलसी ने

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जीवन जीने की कला सिखाई आचार्यश्री तुलसी ने

रोहिणी, दिल्ली
तेरापंथ भवन में आचार्यश्री तुलसी का जन्म दिवस के आयोजन में शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि लाडनूं की पावन धरती पर एक दिव्य ज्योति किरण अवतरित हुई। धीरे-धीरे उस ज्योति किरण ने एक सूर्य का रूप धारण करके समग्र विश्‍व में आलोक रश्मियाँ फैलाईं। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान के द्वारा जीवन जीने की कला सिखाई। अणुव्रत आचार संहिता के द्वारा एक नई सृष्टि का निर्माण हो सकता है। युग की बहती धारा को बदला जा सकता है। शासनश्री साध्वी सुव्रताजी, शासनश्री सुमनप्रभा जी, साध्वी चिंतनप्रभा जी ने तुलसी के व्यक्‍तित्व के संदर्भ में विचार व्यक्‍त किए। साध्वी कार्तिक प्रभा जी ने गीत की प्रस्तुति दी। रोहिणी सभा के अध्यक्ष मदनलाल जैन, भिक्षु मंडल महिला मंडल, ज्ञानशाला एवं अणुव्रत समिति के सदस्यों ने सुमधुर गीतों की स्वर लहरियों से आचार्य तुलसी की अभ्यर्थना की। कार्यक्रम का संचालन सभा के महामंत्री राजेश बैंगाणी ने किया।