
रचनाएं
नहीं निरर्थक समय बितायो
सती बिदामांजी, सती बिदामांजी, सती बिदामांजी,
कीर्तिमान रच्यो थे गण में, छाप जमाई थे शासन में।
श्रद्धा बोल रही हर मन में।। सती...
सौ स्यूं ज्यादा उमर पाई, थांरी जबर्दस्त पुण्यायी,
संयम री सुषमा महकाई।। सती...
श्रम रो थे आदर्श दिखायो, नहीं निरर्थक समय बितायो,
परवश बण जीणो न सुहायो।। सती...
तप-जप दोन्यूं चलता सागै, सेवा में रहता नित आगै,
जीवन गुण दरियो ज्यूं लागे।। सती...
उज्ज्वलरेखादिक बड़भागण, बै नहीं खोयो हो अन्तिम क्षण,
पचखायो सतिवर नै अनशन।। सती...
लय : धरती धोरां री