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श्रद्धा पुष्ट करने का उत्तम साधन है ज्ञानशाला
साध्वी रतिप्रभाजी के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन किया गया। मुख्य प्रशिक्षिका अभयमति डोसी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र से हुई। बच्चों द्वारा 'अर्हम-अर्हम की वंदना फले' गीत से मंगलाचरण किया गया। डांस, देशभक्ति गीत, कॉमेडी दृश्य, अमर कुमार की कथा, योग मुद्राएं आदि मुख्य आकर्षण रहे। मुख्य प्रशिक्षिका ने बताया कि लगभग 15 दिनों से ज्ञानार्थियों और प्रशिक्षकों ने बड़े उत्साह से मेहनत कर इन सभी प्रस्तुतियों की तैयारी की। जसोल सभा अध्यक्ष भुपतराज कोठारी, पारमार्थिक शिक्षण संस्था के संयोजक मोतीलाल जिरावला, मारवाड़ आंचल के संयोजक सुरेंद्र सालेचा, ज्ञानशाला संयोजक डूंगरचंद सालेचा और सम्पतराज चोपड़ा आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही, वर्ष 2023 में जसोल ज्ञानशाला को 'सर्वश्रेष्ठ ज्ञानशाला सम्मान' की प्राप्ति पर सभी ज्ञानार्थियों और प्रशिक्षकों को बधाई दी तथा उनके समय-नियोजन के लिए आभार ज्ञापित किया।
साध्वी रतिप्रभाजी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ज्ञानशाला एक संस्कार पाठशाला है। अच्छे संस्कारों को पाने का यह एक श्रेष्ठ उपक्रम है। ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों से बच्चों के बोलने की कला, प्रस्तुति देने की क्षमता, शरीर के हाव-भाव को प्रस्तुत करने की शैली और संवाद याद करने की योग्यता का विकास होता है। हमारी पौराणिक कथाओं के माध्यम से देव, गुरु और धर्म के प्रति श्रद्धा पुष्ट करने का यह एक उत्तम साधन है। सभी बच्चों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल अध्यक्ष ममता मेहता और मंत्री जयश्री सालेचा ने किया तथा पुष्पा देवी बुरड़ ने सभी का आभार ज्ञापित किया।