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सबसे बड़ी सम्पदा होते हैं संस्कार
‘शासनश्री’ साध्वी विद्यावती जी द्वितीय के सान्निध्य में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वी विद्यावती जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुई। इसके पश्चात् ज्ञानार्थियों एवं प्रशिक्षिकाओं द्वारा रैली निकाली गई, जिसमें सभा, तेयुप और महिला मंडल की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में मंगलाचरण भायंदर ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं द्वारा किया गया, जबकि सकल श्रावक समाज ने 'अर्हम अर्हम की वंदना' गीतिका प्रस्तुत की। मुख्य प्रशिक्षक मीता गुंदेचा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। साध्वी विद्यावती जी ने अपने पाथेय में प्रशिक्षिकाओं और ज्ञानार्थियों के श्रम की सराहना करते हुए बच्चों को दीक्षा के लिए प्रेरित किया। साध्वी प्रियंवदा जी ने उल्लेख किया कि संस्कार सबसे बड़ी सम्पदा होते हैं और उनके लिए ज्ञानशाला एक श्रेष्ठ उपक्रम है। मुंबई ज्ञानशाला द्वारा प्रेषित विषय ‘भिक्षु स्वामी के दृष्टांत या सिद्धांत’ पर बच्चों ने सुंदर प्रस्तुति दी। स्टार्टअप के युग में आचार्य भिक्षु की उपयोगिता पर भायंदर के ज्ञानार्थियों ने प्रभावशाली प्रस्तुति दी। साथ ही, भायंदर के ज्ञानार्थियों ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। 'मोक्ष जंक्शन' पर मीरा रोड के ज्ञानार्थियों ने भी प्रेरणादायक प्रस्तुति दी। मीरा रोड की प्रशिक्षिकाओं ने ‘ज्ञान का दीप जलाएं’ विषय पर गीतिका प्रस्तुत की। भायंदर सभा अध्यक्ष दिलीप बाफना, संगठन मंत्री विनोद डांगी, तेयुप उपाध्यक्ष ललित भंडारी और महिला मंडल अध्यक्ष संगीता बोथरा ने अपने भावपूर्ण विचार साझा किए। इसके अतिरिक्त भायंदर सभा मंत्री रूप गोठी, तेयुप मंत्री मनोज कच्छारा, भायंदर महिला मंडल अध्यक्ष संगीता बोथरा, विशेष सहयोगी टीम से ममता भंडारी एवं जोन संयोजिका मीता गुंदेचा की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं आभार ज्ञापन टेक्नो टीम सदस्य संगीता हिंगड़ द्वारा किया गया।