भौतिक संपदा से भी अधिक मूल्यवान है संस्कारों की संपदा

संस्थाएं

मैसूर।

भौतिक संपदा से भी अधिक मूल्यवान है संस्कारों की संपदा

स्थानीय तेरापंथ सभा के तत्वावधान में मैसूर में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन हुआ। इस अवसर पर साध्वी सिद्धप्रभा जी ने ज्ञानशाला को संबोधित करते हुए कहा कि अभिभावकों के लिए भौतिक संपदा से भी अधिक मूल्यवान संस्कारों की संपदा है। गणाधिपति आचार्य तुलसी की अभिनव देन ज्ञानशाला है, जहाँ बच्चों को आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ प्रशिक्षिकाओं द्वारा व्यावहारिक संस्कार भी प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने माता-पिता को तीन श्रेणियों में विभाजित करते हुए कहा कि कुछ माता-पिता केवल जन्म देकर संतान को भगवान के भरोसे छोड़ देते हैं और ध्यान नहीं देते। कुछ माता-पिता संतान को पढ़ा-लिखाकर केवल धन व भौतिक सुख-सुविधाओं तक सीमित रखते हैं, जबकि सच्चे माता-पिता वे हैं जो अपने बच्चों को संस्कारित करने में जागरूक रहते हैं और समय का नियोजन करते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रशिक्षिकाओं के मंगलाचरण से हुआ। साध्वी मलययशा जी ने बच्चों को प्रेरणा दी तथा कान्ता नौलखा ने अपने विचार रखे। आगंतुकों का स्वागत सभा के उपाध्यक्ष सुरेश पितलिया ने किया। साधना दक ने आभार ज्ञापन किया और कार्यक्रम का संचालन साध्वी आस्था प्रभा जी ने किया। ज्ञानशाला के नन्हें-मुन्नें बच्चों ने आकर्षक लघु नाटिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम से पूर्व एक भव्य रैली का भी आयोजन किया गया।