पर्युषण महापर्व के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

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पर्युषण महापर्व के उपलक्ष्य में विविध आयोजन

पूराणा ओसवाल सभा भवन में पर्वाधिराज संवत्सरी महापर्व के अवसर पर साध्वी रतिप्रभा जी ने कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्मोदय का महापर्व है। यह आत्मावलोकन एवं आत्मशुद्धि का महत्त्वपूर्ण उपक्रम है। संवत्सरी आत्मशक्ति में मैत्री, प्रेम और सौहार्द के बीज बोने का सफल अवसर है। जीवन के पावन मंदिर में क्षमाधर्म का दीप जलाने तथा मैत्रीरूपी गुण-सुमनों की सुवास से अपने जीवन को महकाने, और क्षमा के लहराते दरिये में प्रवेश करके वैमनस्य की आमूल-चूल ग्रंथियों को खोलकर गद्गद् हृदय से पूरी शुद्धि के साथ खमत-खामणा करके आगामी भविष्य के लिए कोई रेशमी गांठ न बनाने का ही उद्देश्य क्षमापर्व है।
साध्वी कलाप्रभा जी ने कहा कि क्षमा हमारा आत्मधर्म है, क्षमा हमारे जीवन का सार है। क्षमा जैन धर्म का प्राण है। अनंत-अनंत जीवों ने क्षमा की साधना, आराधना और उपासना करके परमतत्त्व को प्राप्त किया। साध्वी मनोज्ञयशा जी ने कहा कि क्षमा की साधना जितनी सरल प्रतीत होती है, उतनी ही कठिन है। क्षमा है—अपने भीतर के आवेश और आग्रह को नियंत्रित करना। सभी साध्वियों ने श्रावक समाज से खमत-खामणा किया। साध्वी पावनयशा जी ने अपनी जन्मभूमि होने के नाते कहा कि मैं भी तपस्या, जाप और गोचरी- पानी की दृष्टि से यदि किसी भाई-बहन का मन न रखा हो तो मैं हृदय से खमत-खामणा करती हूँ। इस अवसर पर सभा मंत्री धनपत संखलेचा, ज्ञानशाला प्रभारी संपतराज चौपड़ा, महिला मंडल मंत्री जयश्री सालेचा, युवक परिषद आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए खमत-खामणा की।