32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां

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मदुरै

32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां

विकास महोत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ तेरापंथ भवन, मदुरै में मुनि हिमांशु कुमार जी के सान्निध्य में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि हिमांशु कुमार जी ने 'जिनशासन के मुकुटमणि' गीतिका के साथ किया। तत्पश्चात मुनि हेमंत कुमार जी ने विकास के महत्व और आचार्य श्री तुलसी के स्वप्न पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आचार्य तुलसी द्वारा आचार्य पद ग्रहण करने के दिन को ही विकास महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मुनि हिमांशु कुमार जी ने अपने वक्तव्य में आचार्य श्री तुलसी के जीवन, उनके पुरुषार्थ, श्रम और ज्ञान साधना का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया। उन्होंने समझाया कि आचार्य तुलसी ने सदैव परिवर्तन से अधिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने का संदेश दिया और अवरोधों को अवसर में बदलने की अद्भुत प्रेरणा दी। आचार्य श्री तुलसी की दिवास्वप्न दृष्टि, श्रमशीलता और समर्पण भावना ने उन्हें महान साधक और समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बनाया। उनके पुरुषार्थ से समाज में नई जागरूकता और आत्मबल का संचार हुआ।