32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां

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32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां

मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में 32वां विकास महोत्सव भिक्षु विहार में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा (कोलकाता-पूर्वांचल) ट्रस्ट द्वारा आयोजित हुआ। मुनिश्री ने कहा कि तेरापंथ अपने जन्म से निरंतर विकासशील रहा है। आचार्य श्री तुलसी ने वर्तमान का मूल्यांकन कर संघ को नये आयाम दिए। उनके विकास के पाँच आधार रहे – विद्या, विनय, विवेक, विरति और विधायक।
आचार्य तुलसी अनुशासनप्रिय, निस्पृह साधक और प्रयोगधर्मी आचार्य थे। उनके नेतृत्व में आगम संपादन, प्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान, अणुव्रत आंदोलन और समण श्रेणी जैसे महत्वपूर्ण कार्य हुए। उन्होंने हर परिस्थिति में संतुलन रखा और विरोध को भी विनोद में बदल दिया। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने विकास महोत्सव की परिकल्पना की, जिसे आचार्य तुलसी ने स्वीकृति दी। आज यह महोत्सव संघ के निरंतर उत्थान का प्रतीक है। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल, बृहत्तर कोलकाता की सामूहिक संगान से हुआ। स्वागत भाषण सभा अध्यक्ष संजय सिंघी ने दिया। विकास परिषद सदस्य बनेचंद मालू, महिला मंडल अध्यक्षा बबिता तातेड़, युवक परिषद अध्यक्ष राजीव बोथरा, प्रोफेशनल फोरम अध्यक्ष इंद्राजमल नाहटा और अणुव्रत समिति हावड़ा के मंत्री वीरेन्द्र बोहरा ने अपने विचार व्यक्त किए। मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया और संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। संघगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।