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32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां
'शासनश्री' साध्वी सुव्रता जी ने विकास महोत्सव के पावन अवसर पर जनता को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारक थे। वे भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि पुरुष, मानवता के मसीहा और नैतिकता के अग्रदूत थे। आचार्यश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ को अणुव्रत और प्रेक्षाध्यान का अमूल्य अवदान देकर अंतरराष्ट्रीय क्षितिज तक पहुँचाया। अपनी लंबी पदयात्राओं के माध्यम से उन्होंने लाखों व्यक्तियों को नशामुक्त जीवन की ओर प्रेरित किया तथा अनेक संस्थाओं की स्थापना करके संघ की गरिमा में चार चाँद लगाए। उनका जीवन महासागर के समान है, जिसे भुजाओं से नाप पाना असंभव है। 'शासनश्री' साध्वी सुमनप्रभा जी ने कहा कि साध्वी समाज के विकास का श्रेय आचार्य तुलसी को जाता है। उन्होंने साध्वियों को माता जैसा सम्पोषण और पिता जैसा संरक्षण प्रदान किया। उनका व्यक्तित्व महान, मैत्री का महासागर और अमृत का झरना था। साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने कहा कि जन-जन के जीवन को उजालों से आलोकित करने वाले महासूर्य का नाम है आचार्य तुलसी। वे कालूगणी की कालजयी रचना थे। कार्यक्रम में अनेक क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं की गरिमामय उपस्थिति रही। इस अवसर पर तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष संजय खटेड़, शास्त्री नगर सभा के अध्यक्ष राजा कोठारी, शालीमार सभा की अध्यक्षा सज्जनबाई गिड़िया, कीर्ति नगर सभा के अध्यक्ष मनोज सुराणा, ललित जैन, राकेश जैन, कमलाबाई और पुनम सुराणा ने आचार्य श्री तुलसी के चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी चिन्तनप्रभा जी ने कुशलतापूर्वक किया।