संस्थाएं
32वें विकास महोत्सव पर सजीव हुयी आचार्य श्री तुलसी की स्मृतियां
साध्वी संघप्रभा जी के सान्निध्य में आचार्य तुलसी का 32वाँ विकास महोत्सव स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा भव्य रूप से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभा देवी सुराणा द्वारा सुमधुर गीतिका से मंगलाचरण के साथ हुआ। साध्वी संघप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज के इस पावन अवसर पर तीन महान आत्माओं का अभिनंदन आवश्यक है, जिनके कारण आचार्य तुलसी का विराट व्यक्तित्व और कालजयी कृतित्व तेरापंथ के विकास फलक पर सदा-सदा के लिए अंकित हो गया। प्रथम—मातुश्री वदना जी, जिन्होंने ऐसे सपूत को जन्म दिया। द्वितीय—महामना कालूगणी, जिन्होंने इस कोहिनूर समान हीरे को पहचानकर धर्मसंघ को नवमाधीश के रूप में सौंपा और तृतीय— आचार्य महाप्रज्ञ जी जिन्होंने यह विकास महोत्सव प्रदान किया।
साध्वी सोमश्री जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य तुलसी ने आगम साधना, साध्वियों, समणियों और गृहस्थ समाज सभी के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। उनके युग में हर आयाम का समग्र विकास हुआ। साध्वी सोमश्री जी ने अपनी भावनाएँ सुमधुर स्वर लहरियों में अभिव्यक्त कीं। कार्यक्रम में मंजू देवी दूगड़ ने सुमधुर स्वर लहरियों से वातावरण को तुलसीमय बना दिया। डॉ. अमरचंद सुराणा ने आचार्य तुलसी के अवदानों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें एक कुशल प्रवचनकार और युगपुरुष बताया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी प्रांशुप्रभा जी ने किया। उन्होंने 'मानवता के महामसीहा तुलसी, तुम्हें प्रणाम' कविता प्रस्तुत की।