संस्थाएं
223वाँ आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव के उपलक्ष्य में विविध आयोजन
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में विजयनगर तेरापंथ भवन में आचार्य श्री भिक्षु का 223वाँ भिक्षु चरमोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। महिला मंडल ने मंगलाचरण की प्रस्तुति दी। साध्वी संयमलता जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य भिक्षु अनुभव सिद्ध आचार्य, कुशल मनोवैज्ञानिक और सिंह समान पराक्रमी पुरुष थे। उनकी शिक्षाएं साधकों के लिए अमृत के समान हैं। संघ के अंतिम पड़ाव में उन्होंने महत्वपूर्ण शिक्षाएं प्रदान कीं—परस्पर सौहार्द बनाए रखना और कलह से बचना, क्योंकि कलह संघ की नींव को खोखला कर देता है। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी भारमल जी को पूर्ण सम्मान देने और चेलों में ममत्व भावना से दूर रहने की प्रेरणा दी। यही कारण है कि आज 250 वर्षों के बाद भी आचार्य परंपरा निर्बाध रूप से आगे बढ़ रही है।
साध्वी मार्दवश्री जी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु संघर्षों और तूफानों से डरे नहीं, बल्कि दृढ़ता से डटे रहे। उनकी शिक्षाओं ने तेरापंथ धर्म संघ को सशक्त बनाया और उच्च शिखर तक पहुँचाया। साध्वी मनीषाप्रभा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु गुरु-निष्ठा, संघ-निष्ठा और आगम-निष्ठा के अनुपम उदाहरण थे। साध्वी रौनकप्रभा जी और सुमित्रा बरडिया ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर त्रिशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में श्रावक-श्राविकाओं ने एक ही दिन में 300 उपवास कर अपने आराध्य की अभिवंदना की। सभा अध्यक्ष मंगल कोचर ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। रात्रि में आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के उपलक्ष में धम्म जागरणा का आयोजन किया गया। गुलाब बांठिया, देवेन्द्र नाहटा, तूफान मांडोत व निधि चावत आदि कलाकारों ने प्रस्तुति दी। सभी का स्वागत सभा अध्यक्ष मंगल कोचर ने किया। आभार मंत्री दिनेश हींगड ने तथा संचालन सुमित्रा बरडिया ने किया।