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आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष पर विशेष
ॐ भिक्षु जय भिक्षु मंत्र बड़ा चमत्कारी रे।
तन्मय हो जपने से हो बेड़ा पार लगाये रे।
भिक्षु मेरे सांवरिया हो जाये तेरी बलिहारी रे।।
1. भिक्षु तू मेरा राम है, तूं ही मेरा घनश्याम है,
मेरे दिल की धड़कन में, बसा हुआ तेरा नाम है।
तूं ही जीवन की ज्योति हो तू प्यारा भिक्खू स्याम रे।।
2. विष की घूटों को पीकर, जन-जन को अमृत बांटा,
आगम मन्थन कर तुमने, भ्रम का निकाला था कांटा।
तू है समता का सागर हो गुण रत्नों की माला रे।।
3. वीर पथ पर बढ़ते गये, कष्टों से ना घबराएं।
भूले भटके श्रावकों को, आध्यात्मिक पथ दिखलाए।
तेरापंथ मेरापंथ हो ये बोध पाठ पढ़ाए रे।।
तेरह की संख्या देख हो, तेरापंथ नाम मन भाये रे।।
4. नहीं मिला आहार पानी, फिर भी हार नहीं मानी,
पहला वास शमशान भूमि, चले भिक्षु बन निरभिमानी।
केलवा की अंधेरी ओरी है में नव इतिहास बनाया रे।।
5. तेरस को भिक्षु जन्मा था, तेरस को ही सोया था,
भिक्षु ने अपने जीवन में, क्रांतिकारी कदम उठाया था।
सिरियारी गॉंव तेरा हो तीरथ धाम कहलाए रे।।
6. नंदनवन भिक्षु शासन पाया, महाश्रमण सा गणमाली,
भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष आया, चारों तीर्थ में खुशहाली।
भिक्षु-भिक्षु जपने वाला हो भव सिंधु तर जाये रे।।
तर्ज- जीवन है पानी की बूंद