भीलवाड़ावासियो! धर्म की लौ सदैव जलाए रखना : आचार्यश्री महाश्रमण
भीलवाड़ा, 19 नवंबर, 2021
महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान कराते हुए फरमाया कि कार्तिक शुक्ला पूर्णिमा है। चतुर्मास का अंतिम दिन आ गया है। कई चीजों में आदि भी होती है, तो अंत भी होता है। कोई-कोई चीज जिसकी आदि भी नहीं होती है और अंत भी नहीं होता है। कोई-कोई चीज जिसकी आदि तो नहीं होती, परंतु अंत होता है। जैसे जीव की सांसारिक अवस्था है, जिसका आदि बिंदु तो नहीं है, पर मोक्ष आत्मा का अंत बिंदु हो सकता है। जीव तो अनादि-अनंत है। चतुर्मास हो या आदमी का जीवन उसकी आदि भी है और अंत भी होता है। चतुर्मास सादिसांत है। चतुर्मास की संपन्नता के दिन में राजा परदेशी का एक व्याख्यान बताना चाहता हूँ। राजा परदेशी नास्तिक विचारधारा वाला आदमी था। पर साथ में तार्किक अपने सिद्धांत को जानने वाला था। कुमार श्रमण केशी बड़े ज्ञानी महापुरुष थे। किसी तरीके से राजा परदेशी को उनके पास पहुँचा दिया गया। आत्मा और शरीर के बारे में विस्तार से चर्चा चली। प्रसंग को विस्तार से समझाया। अंत में परदेशी राजा को प्रतिबोधित किया। लोहबाणिये की घटना से उसे समझाया। नास्तिक से आस्तिक बन गृहस्थ-श्रावक का धर्म को स्वीकार कर श्रमणोपासक बन गया। धर्म की आराधना करने लगा। कुमार श्रमण केशी ने अंत में शिक्षा फरमायी कि राजन्! हमारे जाने के बाद तुम रमणीय से अरमणीय मत बन जाना। प्रसंगों से समझाया। मैं तो भीलवाड़ा की जनता, श्रावक समाज को राजा परदेशी मानकर आप लोगों से कह रहा हूँ कि आप लोग रमणीय बनकर अरमणीय मत बन जाना। आपने जो धर्म-ध्यान, त्याग-व्रत स्वीकार किए हैं, उनको भूल मत जाना, पालने की जागरूकता रखना। चतुर्मास में जो धर्म की चेतना जगी है, उसे बनाए रखना। भीलवाड़ा में चतुर्मास हुआ, भीलवाड़ा में शांति रहे। लोगों में धार्मिक-आध्यात्मिक चेतना बनी रहे। यह हमारी आप सबके प्रति मंगलकामना है। आप सबसे हमारा खमतखामणा भी है। विहार का समय प्रात: 8:41 बजे करने की घोषणा की। भीलवाड़ा के डीएम शिवप्रसाद एम नकाते ने अपनी भावाभिव्यक्ति व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्यश्री ने जिस तरह से कोरोना की गाइडलाइन का स्वयं पालन करते हुए अपने अनुयायियों को अनुपालित कराया, वह अविस्मरणीय है। आपके संदेश पूरी दुनिया का कल्याण करने वाले हैं। आपकी आगे की यात्रा मंगलमय हो। एसपी आदर्श सिद्धू ने भी अपनी अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि मुझे आप जैसे महासंत के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। हमारी सुरक्षा व्यवस्था आपकी सेवा में निरंतर संलग्न है। आपके दर्शन का अवसर हमें मिलता रहे, मैं ऐसी कामना करता हूँ। प्रवचन में भीलवाड़ा के जिलाधीश शिवप्रसाद एवं नकाते, पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू ने अपनी भावना व्यक्त की एवं आगे की यात्रा के लिए मंगलकामना की। उन्होंने कहा कि प्रवचन में प्रवास व्यवस्था समिति, भीलवाड़ा और मर्यादा महोत्सव समिति, बीदासर के मध्य व्यवस्था हस्तांतरण का कार्यक्रम आयोजित हुआ। बीदासर मर्यादा महोत्सव समिति के पदाधिकारियों द्वारा 2022 मर्यादा महोत्सव का लोगो श्रीचरणों में लोकार्पित किया गया। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल गीड़िया ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। आचार्य महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों ने बीदासर मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों को ध्वज हस्तांतरित किया और इसके साथ ही व्यवस्थाओं का भी हस्तांतरण हो गया। आचार्यश्री ने दोनों व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों आदि को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। बीदासर समाज द्वारा गीत का संगान किया गया। महेंद्र ओस्तवाल ने लिखित त्याग प्रत्याख्यान का निवेदन श्रीचरणों में
अर्पित किया। राजेंद्र भलावत, निर्मल गोखरू, नवरत्नमल झाबक, मोहन सिंह भंडारी, शंकरलाल पितलिया, महिला मंडल अध्यक्ष मीना बाबेल, मंत्री रेणु चोरड़िया, लादुलाल हिरण, जसराज चोरड़िया, प्रदीप भंडारी, चंद्रप्रकाश सिंघवी, रतन भालावत, जेठमल चौधरी, अनिता हिरण, पीयूष रांका, ओम नौलखा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष आनंदबाला टोडरवाल, प्रोफेशनल फोरम अध्यक्ष राकेश सुतरिया, तेयुप अध्यक्ष संदीप चोरड़िया ने मंगलकामना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।