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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न आयोजन
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा निर्देशित एवं अणुव्रत समिति ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा आयोजित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन ओसवाल भवन, विवेक विहार में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती ‘बहुश्रुत’ मुनि उदितकुमार जी के सान्निध्य में हुआ। ‘अणुव्रत साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस’ के अवसर पर सभी धर्मों के विशिष्ट प्रतिनिधियों ने एक स्वर से माना कि सर्वधर्म सद्भाव से समाज एवं राष्ट्र का विकास संभव है। इसी से अमन-चैन, शांति, अहिंसा एवं सद्भाव का वातावरण निर्मित हो सकता है।
जैन धर्म की ओर से मुनि उदितकुमार जी ने कहा कि मानव सभ्यता के विकास में धर्म की मुख्य भूमिका रही है। धर्म की जहां वास्तु, कला, संगीत, साहित्य, दर्शन, नैतिक आचार संहिता के रूप में गौरवपूर्ण उपलब्धियां हमारे सामने हैं, वहीं यह सर्वधर्म प्रार्थना समरसता पैदा करने में योगभूत बनेगी। मुनि श्री ने कहा—सभी धर्मों का सार यही है कि सभी अपनी-अपनी आस्था एवं उपासना में रहते हुए भी परस्पर भाईचारे, प्रेम और आपसी समझ से रहें। मानव जाति के विकास में यह आवश्यक है कि सभी में समान व्यवहार रहे। संप्रदाय तो मात्र पहचान है, वस्तुतः भीतर का रूपांतरण ही धर्म है। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के जरिए यही संदेश दिया है। वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी अहिंसा यात्रा के माध्यम से नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का महनीय कार्य कर रहे हैं। अपनी पदयात्रा में विभिन्न धर्मों के प्रमुख केन्द्रों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ।
सभी धर्मों में मानवता के हितार्थ कार्य हो रहे हैं तथा समरसता के लिए अनुकरणीय कार्य किए जा रहे हैं। अणुव्रत सबको जोड़ने का महान मंत्र है। इस अवसर पर उपस्थित विभिन्न धर्मों के प्रमुख व प्रतिनिधियों में मुख्य रूप से पारसी गुरु माराजबान नरीमन जयवाला बी, जापानी बौद्ध भिक्षु जुन्सेई टेरासावा, ईसाई धर्म की ओर से सेंट मार्टिन चर्च, दिल्ली कैंट के फादर सुनील सोलोमन गजन, हिन्दू धर्म की ओर से पं. अरविन्द भारद्वाज, मुस्लिम स्कॉलर अतहर शहीद, सिख धर्म की ओर से जसविन्दर कौर व तरनप्रीत कौर, ब्रह्मकुमारी बहन बी. के. दिव्या दीदी तथा आर्य समाज की ओर से डॉ. नरेन्द्र विद्यालंकार ने अपने-अपने धर्मों की चर्चा करते हुए विश्व भ्रातृत्व भाव को आगे बढ़ाने का आदर्श प्रस्तुत करने का आह्वान किया।
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष बाबूलाल गोल्छा ने उपस्थित सभी महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत आंदोलन संप्रदाय, रंग, जाति-भेद से ऊपर उठकर नैतिकता, संयम और मानवता का संदेश देता है। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से धर्म के व्यवहारिक स्वरूप को प्रतिपादित किया। संप्रदाय के आचार्य होते हुए भी उन्होंने स्वयं को संप्रदायवाद की संकीर्ण धारा से आबद्ध नहीं किया। इस अवसर पर दिल्ली तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, शाहदरा सभा अध्यक्ष राजेन्द्र सिंघी, अणुव्रत समिति के पूर्व अध्यक्ष शांतिलाल पटावरी, सुशील बैंगानी, सामाजिक कार्यकर्ता संजय भाई, पवन गिडिया, कमल सेठिया, निर्मल छलाणी, राज गुनेचा, महिला मंडल अध्यक्ष मंगला कुण्डलिया, संगीता आंचलिया, इन्द्रा सिंघी, कल्पना सेठिया आदि ने उपस्थित सभी महानुभावों का साहित्य, शाल व स्मृति चिन्ह से सम्मान किया। इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक रमेश काण्डपाल ने कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ अणुव्रत प्रार्थना व सभी धर्मों की प्रार्थनाओं से हुआ।