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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न आयोजन
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी अणिमाश्री जी एवं खतरगच्छाधिपति आचार्य मणिप्रभसूरीश्वर जी की सुशिष्या साध्वी हेमप्रभा जी की शिष्या साध्वी प्रमुदिताश्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत अहिंसा दिवस का आयोजन अणुव्रत समिति, बालोतरा के तत्वावधान में किया गया। साध्वी अणिमाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा—'जिन शासन का प्राण तत्व है अहिंसा। मानवता के लिए परम मंगल है अहिंसा। अहिंसा सनातन सत्य है—दुनिया का कल्याण, श्रेयस, अभ्युदय अहिंसा से ही संभव है।'
हम कायिक हिंसा के प्रति तो सजग हैं, किन्तु वाचिक हिंसा एवं मानसिक हिंसा से बचने का प्रयास करके हम व्यवहारिक जगत में खुशहाली ला सकते हैं, पारिवारिक रिश्तों को सुदृढ़ बना सकते हैं। घर की स्वच्छता में भी अहिंसा का पुट रहना चाहिए। पानी के अपव्यय से बचकर भी हम अहिंसा का पोषण कर सकते हैं। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से नैतिकता व अहिंसा का दीप प्रज्ज्वलित किया, जिसके आलोक में हम अपनी आत्मा को आलोकित कर सकते हैं। अणुव्रत समिति अणुव्रत का उत्कृष्ट कार्य कर रही है।
साध्वी प्रमुदिताश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा—'भगवान महावीर ने दो प्रकार की हिंसा की परिभाषा की है—द्रव्य हिंसा और भाव हिंसा। द्रव्य हिंसा तो दिखाई देती है, किन्तु भाव हिंसा हमारे मन और भावों में चलती रहती है। मन, वचन एवं काया से किसी को कष्ट देना ही हिंसा है। हम हिंसा को समझें एवं अहिंसा की साधना कर अपनी आत्मा को पवित्र, निर्मल व उज्ज्वल बनाएं।' मुख्य अतिथि रमेश कुमार (एस.पी.), विशिष्ट अतिथि अशोक कुमार (एस.डी.एम.), अणुव्रत समिति के अध्यक्ष जवेरचन्द सालेचा एवं साध्वी संवेगप्रिया जी ने अपने विचार व्यक्त किए। पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश ने स्वागत एवं आभार ज्ञापन किया तथा कमलाबाई ओसवाल ने सहकार प्रदान किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री प्रकाश बैद मुथा ने किया।