रचनाएं
गुरु को करें प्रणाम
आदि गुरु को करें प्रणाम
1. परम योगी विलक्षण परमज्ञानी, श्रद्धासिक्त वंदन-वंदन।
त्रिशताब्दी का महाउत्सव, करते हैं चरणों में अभिवंदन।
आदि गुरु को करें प्रणाम…
2. अपराजेय व्यक्तित्व अनुपम निराला, देते नया उजाला।
सौम्य शांत आभा मंडल, पिलाते थे अमृत का प्याला।
योगीश्वर को करें प्रणाम…
3. अभिनव अभिरूप तुम्हारा, अद्भुत कौशल मनहारा।
अनुशासन प्रतिरूप सुप्यारा, जगहित में बने ध्रुवतारा।
अखिलेश्वर को करें प्रणाम…
4. विलक्षण प्रवचन नैपुण्य का, उत्कर्ष अनुशासन सुखकारी।
काली कजरारी रजनी में, देते संबोध संदेश मंगलकारी।
महासिंधु को करें प्रणाम…
5. श्रुतधर श्रुत के महान उपासक, बहाई श्रुत की धारा।
एकांत साधना स्वाध्याय साधक, तोड़ी कर्मों की कारा।
तपोयोगी को करें प्रणाम…
6. अमित आनंद का निर्झर बहता, सत्य का शंख बजाया।
नव-नव आयामों से उन्नत, शिखर का ध्वज फहराया।
ध्यानयोगी को करें प्रणाम…
7. आचार्य भिक्षु की अकथ कहानी, आचार की शैली सुहानी।
साहित्य आराधना से कण-कण हिमानी, त्रिभुवन में वाणी कल्याणी।
ज्योति पुरुष को करें प्रणाम…