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पावस में रचा तपस्या का कीर्तिमान
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में मुनि श्रेयांसकुमार जी के तप का वर्धापन उत्सव सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुनि कमलकुमार जी ने कहा — 'मुनि श्रेयांसकुमार जी मेरे सह-दीक्षित हैं। प्रथम बार गंगाशहर में साथ चातुर्मास करने का अवसर मिला। प्रारंभ में स्वास्थ्य अनुकूल न होने के बावजूद इन्होंने तप की झड़ी लगा दी। 5, 12, 13 उपवासों के पश्चात वर्षीतप प्रारंभ कर धर्मचक्र कंठीतप एवं 34 दिन की तपस्या से स्वयं को पूर्ण स्वस्थ बना लिया। चौपन वर्षीय संयम पर्याय में इतनी तपस्या मेरे प्रवास को धन्य कर गई।'
इस अवसर पर परम पूज्य गुरुदेव के संदेश का वाचन किया गया। मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार जी, मुनि रमेशकुमार जी, मुनि सुमतिकुमार जी आदि के प्रेरक उद्गारों का वाचन जतन संचेती एवं करणीदान रांका ने किया। मुनि अजितकुमार जी एवं अन्य संतों के भक्ति गीत तथा साध्वी अनुशासनश्रीजी के गीत का गायक मंडली ने संगान किया।
मुनि श्रेयांसकुमार जी ने सभी संतों के सहयोग हेतु कृतज्ञता प्रकट की। मुनि विमलबिहारी जी, मुनि प्रबोधकुमार जी एवं मुनि नमिकुमार जी ने भी अनुमोदना की। मुनि कमलकुमार जी ने आगे कहा कि 'आज मुनि नमिकुमार जी का जन्म का 76वां वर्ष प्रारंभ हो रहा है। उन्होंने भी गंगाशहर प्रवास में तपस्या का नया कीर्तिमान रचा है — 22, 23, 24, 39, 40 उपवासों के पश्चात अब 14 दिन की नई तपस्या आरंभ हुई है।'