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आत्मशक्ति को जागृत करने का प्रभावी माध्यम है अनुष्ठान
साध्वी सोमयशा जी के सान्निध्य में यशवंतपुर में नवरात्र आध्यात्मिक अनुष्ठान का आयोजन हुआ। साध्वी सोमयशा जी ने अपने प्रवचन में कहा – 'संसार में अनेक प्रकार की शक्तियों का महत्व है, परंतु सबसे बड़ी शक्ति आध्यात्मिक शक्ति होती है। प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए व्यक्ति का शक्तिसंपन्न होना आवश्यक है। राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक अथवा किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए ‘आत्मशक्ति’ का होना अनिवार्य है।'
उन्होंने आगे कहा कि आत्मशक्ति को जागृत करने हेतु अनेक धार्मिक अनुष्ठान बताए गए हैं, जिनमें नवरात्र अनुष्ठान अत्यंत महत्वपूर्ण है। बाह्य उपद्रवों से बचने तथा आत्मशक्ति को जागृत करने के लिए तप अनुष्ठान एक प्रभावी माध्यम है। जैन धर्म में आयंबिल तप का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें स्वाद विजय और आहार संयम पर बल दिया जाता है। एक समय, एक ही स्थान पर बैठकर विगयरहित, अलूण आहार लेना अपने आप में कठिन साधना है, किंतु साधक इसके द्वारा आत्मानंद का अनुभव करता है। यशवंतपुर सभा भवन में आयोजित इस तप में सभा, युवक परिषद, महिला मंडल तथा ज्ञानशाला के बच्चों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। महिला मंडल से चंद्रा सिसोदिया एवं नीलम तातेड तथा सभा, परिषद से दिलीप पितलिया इस अनुष्ठान के संयोजक रहे। रात्रिकालीन अनुष्ठान में भी श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया।
साध्वी सोमयशा जी ने अनुष्ठान का अर्थ, उसके बीज मंत्रों तथा मंगल भावना के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. साध्वी सरलयशा जी ने 'अनुष्ठान से कैसे शक्तिशाली बनें' इस विषय पर अपने विचार एवं उपयोगी सुझाव प्रस्तुत किए। साध्वी ऋषिप्रभा जी ने तप के आध्यात्मिक एवं सांसारिक प्रभावों और लाभों के बारे में श्रद्धालुओं को अवगत कराया। मारवाड़ कांठा समाज के नवनिर्वाचित प्रथम संस्थापक अध्यक्ष गौतम मुथा का सम्मान कर उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित की गईं।