गुरुवाणी/ केन्द्र
हिंसा से बचने का हो प्रयत्न : आचार्यश्री महाश्रमण
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन देशना प्रदान करते हुए कहा कि किसी की हिंसा मत करो। शास्त्रों की कल्याणी वाणी में हमें अहिंसा, संयम, तप, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और रात्रिभोजन विरमण जैसे आदर्श मिलते हैं। शास्त्रों में हिंसा का निषेध करते हुए कहा गया है – किसी का अतिपात मत करो, किसी के प्राणों का हनन मत करो। यहां तक कि साधु भी चिकित्सा के लिए किसी प्राणी की हिंसा नहीं करें।
आचार्यश्री ने कहा कि साधु के शरीर में भी रोग उत्पन्न हो सकते हैं, परंतु उनका मूल कारण भीतर होता है। चिकित्सा विज्ञान में अनेक जांच-पद्धतियों द्वारा रोग का कारण खोजा जाता है, किंतु जैन दर्शन कर्मवाद को आधार मानता है। व्यक्ति को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। कौन-सा कर्म कब उदय में आ जाए, यह ज्ञात नहीं होता, क्योंकि मूल कारण ‘कार्मण शरीर’ ही है। आचार्यश्री ने कहा कि साधु की भूमिका में अहिंसा महाव्रत है, किंतु गृहस्थों को भी अपने जीवन में यथासंभव हिंसा से बचने का प्रयत्न करना चाहिए। गृहस्थ जीवन में तीन प्रकार की हिंसा बताई गई है – आरंभजा, प्रतिरोधजा और संकल्पजा।
आरंभजा हिंसा वह है जो जीवन-निर्वाह हेतु आवश्यक कर्मों, जैसे कृषि, भोजन-पानी आदि में होती है। यह अनिवार्य होते हुए भी निन्दनीय नहीं है, किंतु इसमें भी न्यूनता का प्रयास होना चाहिए। प्रतिराधजा हिंसा अपने, परिवार या राष्ट्र की रक्षा में अनिवार्य रूप से हो सकती है, वह भी निन्दनीय नहीं है। परंतु संकल्पजा हिंसा – जो क्रोध, लोभ, मोह या अहंकारवश जानबूझकर की जाती है – वह अत्यंत निन्दनीय है। गृहस्थ को ऐसी हिंसा से पूर्णतः बचना चाहिए।
आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत उपस्थित हुए। आचार्यप्रवर ने कहा कि सन् 2021 में नागपुर स्थित आरएसएस कार्यालय में मेरा जाना हुआ था, और आज मोहनजी भागवत हमारे बीच पधारे हैं। प्रायः प्रतिवर्ष आपके आगमन का क्रम बना रहता है, यह आपकी विनम्रता और उदारता का प्रतीक है। ऐसे व्यक्तित्व जो चिंतनशील, ज्ञानी, परोपकारी और प्रभावशाली हों, उनके सान्निध्य से समाज का कल्याण होता है। कार्यक्रम के समापन अवसर पर अहमदाबाद चातुर्मास व्यवस्था समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रायचंद लूणिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी।