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संयम जीवन के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अभ्यर्थना समारोह
ध्यान, योग और संयम साधना की पर्याय साध्वी राजीमती जी, तेरापंथ धर्म संघ की विशिष्ट और विलक्षण साध्वी, ने आचार्य श्री तुलसी के करकमलों से दीक्षा ली। इसके पश्चात उन्होंने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी से योग एवं ध्यान साधना का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्तमान युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण की करुणा दृष्टि और विश्वास भी उन्होंने अर्जित किया। 75 वर्ष तक संयम जीवन का पालन करना अत्यंत दुर्लभ और प्रेरणादायी दस्तावेज है। आंचलिया परिवार ने साध्वी राजीमती जी की सुखद संयम यात्रा के वर्धापन दिवस पर भावाभिव्यक्ति दी और शतायु एवं दीर्घायु होने की कामना की। कुसुम आंचलिया, विनोद आंचलिया, आंचल सुराणा, अरुण, भरत सहित अन्य सदस्यों ने साध्वी राजीमती जी को 93 वर्ष की आयु में भी पुरुषार्थी और तेजस्वी साध्वी बताते हुए भावांजलि अर्पित की।
जोरावरपुरा से पधारी साध्वी बसंतप्रभाजी और साध्वी संकल्पश्री जी ने साध्वी राजीमती जी को तेरापंथ धर्म संघ की अद्भुत और विलक्षण साध्वी बताया। राष्ट्रीय उपासक संयोजक सूर्य प्रकाश सामसुखा ने ध्यान, योग और संयम के माध्यम से प्राप्त अनुभव साझा किए। आचार्य श्री महाश्रमण का पावन संदेश साध्वी समताश्री जी ने उपस्थितों के समक्ष वाचन किया। रूपचंद दुगड़ (सभा अध्यक्ष), शुभकरण चोरड़िया, रणजीत दुगड़, डॉक्टर प्रेमसुख मरोठी, मुमुक्षा शांता जैन सहित अनेक गणमान्यजनों और श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। कुशल संचालन साध्वी मनोज्ञप्रभा जी ने किया।