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अणुव्रत इंसानियत का पाठ सिखाने वाला विशिष्ट अभियान
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के आचार्य डॉ. शिव मुनि जी के सान्निध्य में एवं अणुव्रत विश्व भारती के तत्वावधान में अणुव्रत समिति चलथाण द्वारा श्री शिवाचार्य चातुर्मास प्रवास स्थल अवध संग्रीला में अणुव्रत उद्बोन सप्ताह का प्रथम दिवस अणुव्रत प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्रमण संघीय महामंत्री शिरीष मुनि जी ने कहा - वर्तमान युग में सभी लोग व्यक्तित्व पर ध्यान दे रहे हैं। इस संसार में दो चीजें हैं - आत्मा और शरीर। अस्तित्व और व्यक्तित्व। अस्तित्व आत्मा से जुड़ा हुआ है जबकि व्यक्तित्व शरीर से जुड़ा हुआ है।
आज आदमी अपने व्यक्तित्व पर ध्यान दे रहा है लेकिन अपने अस्तित्व को भूल गया है। केवल व्यक्तित्व को सुधारने की बात होती है तो वहां आत्मा का उद्धार नहीं होता। जहां आत्मा के अस्तित्व की बात होती है वहां आत्मा की शुद्धि का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन कोई सामान्य आंदोलन नहीं है। वह व्यवहार जगत में रहते हुए आत्म शुद्धि और आत्म विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। अणुव्रत विश्व भारती की राष्ट्रीय संगठन मंत्री पायल चोरडिया ने कहा - अणुव्रत का मार्ग जीवन शुद्धि का मार्ग है। वह चारित्रिक विकास का मार्ग है। किसी भी जाति या संप्रदाय से जुड़ा हुआ व्यक्ति अणुव्रत का सदस्य बन सकता है।
अणुव्रत वर्तमान युग की सभी चुनौतियों का सटीक समाधान दे सकता है। आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अणुव्रत सेवी' अर्जुन मेडतवाल ने कहा -' आदमी के पास आत्म-विकास के दो मार्ग हैं। महाव्रत का मार्ग और अणुव्रत का मार्ग। अणुव्रत का मार्ग सर्व सुलभ है। गृहस्थ आश्रम में रहकर भी सांसारिक कार्यों से जुड़ा रहकर भी व्यक्ति अणुव्रत का मार्ग अपना सकता है। जिस प्रकार से अणुबम में प्रचंड शक्ति है, उसी प्रकार से अणुव्रत में भी प्रचंड शक्ति है। फर्क इतना है कि अणु बम की शक्ति विनाशकारी है जबकि अणुव्रत की शक्ति विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
अणुव्रत समिति चलथाण की अध्यक्ष कांता नौलखा ने स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत समिति चलथाण के मंत्री ज्ञानचंद दूगड़ ने किया। तेरापंथ सभा चलथाण के मंत्री संजय बाफना ने आभार ज्ञापन किया।