गुरुवाणी/ केन्द्र
धर्माचरण को कल पर न छोड़ें : आचार्यश्री महाश्रमण
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्य महाश्रमणजी करीब 12 कि.मी. का विहार कर पहुंचे सलाल। अमृत देशना प्रदान करते हुए गुरुदेव ने फरमाया कि किसी व्यक्ति को धर्म करने की प्रेरणा दी जाए और सामने वाला उसे कल पर छोड़ दे, तो कल पर छोड़ने का अधिकार तीन मनुष्यों को होता है। पहला, वह जिसकी मौत से दोस्ती हो और वह मौत को जो बात कहे, वह मान ले। दूसरा, वह जो इतना तेज दौड़ता हो कि यदि मौत उसका पीछा करे तो वह उसे पकड़ न पाए। और तीसरा, वह मनुष्य जिसने अमरत्व को प्राप्त कर लिया हो। और दुनिया में शायद ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलेगा जो इस प्रकार के अधिकार रखता हो।
सृष्टि का अपना नियम है कि कोई भी प्राणी स्थायी नहीं है। जिस प्राणी ने जन्म लिया है, उसका अवसान अवश्यंभावी है। यह शरीर नश्वर है, ऐसी स्थिति में हमें धर्म करना चाहिए। तीन चीजें – मृत्यु, बुढ़ापा और बीमारी – किसी के नहीं आएंगी, ऐसी कोई भी गारंटी नहीं ले सकता। इसलिए व्यक्ति को अपनी आत्मा पर ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा शाश्वत है, अतः व्यक्ति को अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। साधु बनकर अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की साधना तो बहुत बड़ी बात है। सामान्य गृहस्थ भी अपने जीवन में जितना संभव हो सके, धर्म और अध्यात्म के द्वारा अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करे। सौभाग्य से प्राप्त इस मानव जीवन में धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने कहा कि वर्ष 2023 में भी सलाल आना हुआ था और आज भी यहां आना हो गया। सलाल वासियों में खूब धर्म की भावना बनी रहे। आचार्य प्रवर के मंगल प्रवचन के उपरांत साध्वीप्रमुखा श्री जी ने श्रद्धालुओं को उद्बोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों का सान्निध्य मिलने पर व्यक्ति के जीवन की धारा बदल जाती है, चिंतन में स्वस्थता और सकारात्मकता आती है, व्यक्ति की सोच सही हो जाती है। यह तब संभव होता है जब व्यक्ति को एक उच्च आभामंडल वाले व्यक्ति का संयोग मिलता है। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष प्रकाश भंडारी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल ने गीत का गायन किया। नन्हीं बालिकाओं ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। प्रियंका चौरड़िया व प्रकाश चौरड़िया ने भी अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी।