धर्म के प्रति बनी रहे श्रद्धा : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कोबा, गांधीनगर। 05 नवम्बर, 2025

धर्म के प्रति बनी रहे श्रद्धा : आचार्यश्री महाश्रमण

वीतराग पथ साधक महातपस्वी युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण ने इस चातुर्मास के अंतिम दिन पावन पाथेय प्रदान करते हुए राजा प्रदेशी व मुनि कुमार श्रमण केशी के प्रसंग का वर्णन करते हुए फरमाया कि श्वेतांबिका नगरी का राजा प्रदेशी नास्तिक विचारधारा का व्यक्ति था। उसके सारथी का नाम चित्त था। एक बार मुनि कुमार श्रमण केशी नगर के बाहर उद्यान में आते हैं और राजा प्रदेशी का सारथी चित्त युक्ति द्वारा राजा प्रदेशी को भी उद्यान में ले जाता है। राजा प्रदेशी ने मुनियों को देखकर सारथी चित्त से पूछा कि ये कौन हैं? सारथी ने कहा कि यहां मुनि कुमार श्रमण केशी अपने पांच सौ शिष्यों के साथ विराज रहे हैं, और उनकी मान्यता है कि आत्मा और शरीर अलग-अलग हैं। राजा प्रदेशी की मान्यता थी कि आत्मा और शरीर अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही है।
राजा प्रदेशी मुनि कुमार श्रमण केशी के पास पहुंचता है और दोनों के बीच मानों शास्त्रार्थ प्रारंभ होता है। मुनि कुमार श्रमण केशी ने कहा कि हमारा सिद्धांत है कि आत्मा अमर है। मृत्यु के बाद भी आत्मा का नाश नहीं होता। प्रदेशी ने कहा कि मैं इसे नहीं मानता। आत्मा और शरीर एक ही हैं; शरीर की मृत्यु के साथ ही आत्मा भी नष्ट हो जाती है।
मुनि कुमार श्रमण केशी राजा प्रदेशी के प्रत्येक प्रश्न का अपने तर्कों द्वारा उत्तर देते हैं। अपने सभी प्रश्नों के समाधान पाकर राजा प्रदेशी अपनी नास्तिक विचारधारा का परित्याग करता है तथा आस्तिक विचारधारा स्वीकार करता है। राजा प्रदेशी मुनि कुमार श्रमण केशी से बारह व्रत स्वीकार कर श्रमणोपासक बन जाता है। इस कथा के माध्यम से पूज्य गुरुदेव ने उपस्थित जनता को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि अब हमें विहार करना है। आप सभी इस कथा से प्रेरणा लेकर इन चार महीनों में जो भी व्रत, नियम, संकल्प स्वीकार किए हैं, उनका सजगता से पालन करने का प्रयास करें। रमणीय बनकर अरमणीय नहीं बनना। जीवन में धर्म के प्रति श्रद्धा बनी रहे। धर्म की भावना बनी रहे, जीवन में आध्यात्मिकता रहे। आत्मा अलग और शरीर अलग — इस आस्तिकवाद के सिद्धांत को मानकर जीवन में यथासंभव धार्मिक कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान में आचार्य श्री भिक्षु का जन्म त्रिशताब्दी वर्ष चल रहा है। यह चातुर्मास काल अब संपन्न हो रहा है और आगे विहार करना है। सभी श्रावकों में धर्म की भावना बनी रहे।
पूज्य गुरुदेव के मंगल प्रवचन के पूर्व मंगल भावना समारोह का आयोजन हुआ। इस क्रम में डॉ. अनिल जैन, चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रामचंद लूणिया, डॉ. धीरज मरोठी, स्वागताध्यक्ष भैरूलाल चौपड़ा आदि ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ कन्या मंडल अहमदाबाद ने अपनी प्रस्तुति दी। मंगल प्रवचन के पश्चात मंगल भावना समारोह के दूसरे चरण में भी श्रद्धालुओं ने अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद, उत्तर अहमदाबाद के सदस्यों ने गीत की प्रस्तुति दी। मंगल भावना समारोह का संचालन चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री अरुण बैद ने किया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने सम्पूर्ण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति को बधाई दी तथा छोटी खाटू में आयोजित होने वाले मर्यादा महोत्सव में पधारने हेतु श्रावक समाज को आमंत्रित किया। इसके साथ ही दायित्व हस्तांतरण का उपक्रम भी हुआ और इस संदर्भ में अभिव्यक्ति दी गई। मेवाड़ कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। चातुर्मास व्यवस्था समिति के सदस्यों ने मेवाड़ कॉन्फ्रेंस के सदस्यों को जैन ध्वज हस्तांतरित किया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में मंगल पाठ सुनाते हुए प्रेरणा प्रदान की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।