अशांत मनुष्य को शांति का मार्ग दिखाता है अणुव्रत

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बीकानेर।

अशांत मनुष्य को शांति का मार्ग दिखाता है अणुव्रत

अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी व अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के शुभ आर्शीवचनों एवं अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के निर्देशानुसार युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी के 112वें जन्मोत्सव पर अणुव्रत दिवस के उपलक्ष में तुलसी साधना केन्द्र, दुगड़ भवन, रामपुरिया मौहल्ला, बीकानेर के प्रांगण में 'शासनश्री' साध्वी मंजुप्रभाजी व 'शासनश्री' साध्वी कुंथूश्रीजी एवं साध्वी वृन्द के सान्निध्य में श्रावक व श्राविकाओं की उपस्थिति में एक अति विचारपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ बीकानेर महिला मंडल की मंत्री श्रीमती रेणुकाजी बोथरा ने आचार्य श्री तुलसी के जन्मोत्सव पर भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति से हुआ। महिला मण्डल बीकानेर की संयोजिका श्रीमती शान्ताजी भूरा ने अपने संबोधन में बताया कि गुरुदेव तुलसी ने महिलाओं के लिए अनगिनत अवदानों से उपकृत कर उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने का कार्य किया। नया मोड़ का अवदान देकर पर्दा प्रथा, दहेज प्रथा, मृत्युभोज, सती प्रथा आदि अनेक कुरीतियों को हटाने का प्रयास किया। अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात करके मानव जीवन में उच्च संस्कारों को अपनाने हेतु प्रेरित किया। अणुव्रत समिति, बीकानेर के पूर्व अध्यक्ष श्री इन्द्रचन्द सेठिया ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह दिवस केवल उनके स्मरण का दिन नहीं है बल्कि एक प्रेरणा दिवस है जिसे हम अणुव्रत दिवस के रूप में मना रहे है। आचार्य श्री तुलसी ने यह प्रेरणा दी कि सच्चा धर्म बाह्य आडम्बरों में नहीं बल्कि आत्म संयम, नैतिकता व प्रेमपूर्ण जीवन में बसता है। वर्तमान अध्यक्ष श्री झंवरलाल गोलछा ने अपने सम्बोधन में बताया कि आचार्य श्री तुलसी द्वारा संकलित गीत 'संयममय जीवन हो' में अणुव्रत आन्दोलन की समस्त परिभाषाऐ परिलक्षित हैं। साध्वीवृंद ने अणुव्रत आन्दोलन की गीतिका के माध्यम से सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया। 'शासनश्री' साध्वी कुंथूश्रीजी ने अपने उद्बोधन में बताया कि चारित्रिक विकास का नाम ही अणुवत है। अणुव्रत एक संजीवनी है।
यह मुर्छित मानवता में नव संचार करता है। अणुव्रत एक राजमार्ग है जो भटकते हुए को सही पथ पर लाता है। अणुव्रत मानव समाज के लिए एक सुरक्षा कवच है। कार्यक्रम का समापन 'शासनश्री' साध्वी कुंथूश्रीजी ने मंगल पाठ के द्वारा हुआ।