कर्मवाद का संक्षिप्त सिद्धांत है: जैसी करनी, वैसी भरनी : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

परसाद। 21 नवम्बर, 2025

कर्मवाद का संक्षिप्त सिद्धांत है: जैसी करनी, वैसी भरनी : आचार्यश्री महाश्रमण

अखंड परिव्राजक, महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरण मानव-कल्याण हेतु निरंतर गतिमान हैं। आज पूज्य गुरुदेव ने प्रातः ऋषभदेव गाँव से मंगल प्रस्थान किया और लगभग 15 किलोमीटर का विहार संपन्न कर परसाद गाँव स्थित ऋषभ पब्लिक उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे। प्रातःकालीन मंगल प्रवचन में श्रद्धालुओं को अमृत देशना प्रदान करते हुए उन्होंने कहा कि कर्मवाद का सिद्धांत अत्यंत संक्षेप में यह कहता है—जैसी करनी, वैसी भरनी। व ्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसी के अनुसार उसे फल भोगना पड़ता है। इसलिए आत्म-कल्याण के लिए व्यक्ति को पाप-कर्मों से बचना चाहिए। हिंसा, हत्या, झूठ, चोरी आदि अठारह पाप हैं, साथ ही क्रोध, मान, राग-द्वेष जैसे कषायों से भी बचना आवश्यक है। अपने द्वारा किसी को नुकसान पहुँचाने का, किसी का बुरा करने का इरादा बनाकर कोई काम नहीं करना चाहिए।
व्यक्ति पाप-कर्मों से जितना दूर रहेगा, कर्म-बन्धन से भी उतना ही बच सकेगा। अतः जितना संभव हो, जीवन में किसी का बुरा न करें और सभी के कल्याण का प्रयास करें। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने कहा कि आज मुनि मुनिसुव्रतकुमारजी स्वामी केलवा से चातुर्मास संपन्न कर लौटे हैं और मार्ग में उनका हमारा मिलना हुआ। मुनिसुव्रत नाम हमारे बीसवें तीर्थंकर का नाम भी है। मुनिश्री भक्ति में गीत भी गाते हैं तथा संघ और संघपति के प्रति उनका भाव अत्यंत श्रद्धापूर्ण है। आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि मुनिसुव्रतकुमारजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए गीत का संगान किया। मुनि शुभमकुमारजी ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति प्रस्तुत की।