अणुव्रत समिति की विशेष संगोष्ठी
राजाजीनगर
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी के सान्निध्य में अणुव्रत समिति द्वारा ‘तुलसी का अणुव्रत उद्बोधन, महाप्रज्ञ का सरस प्रबोधन’ पर एक विशेष संगोष्ठी का समायोजन हुआ। साध्वीवृंद द्वारा नमस्कार महामंत्रोच्चार के पश्चात अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष देवराज रायसोनी ने मंगलाचरण एवं राजाजीनगर तेरापंथ सभाध्यक्ष शांतिलाल पितलिया ने समागत अणुव्रत समिति परिवार के स्वागत में विचार रखे।
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने कहा कि देश की आजादी के कुछ समय पश्चात ही राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत का प्रवर्तन किया। आचार्यश्री तुलसी ने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र की सुरक्षा व विकास के लिए व्रत की अपेक्षा है। व्रतों से, संयम से आचरण में पवित्रता आती है। नशामुक्ति एवं परस्पर सौहार्द का भाव विकसित होता है। आप सभी कार्यकर्ता शांतिलाल पोरवाल की अध्यक्षता में अणुव्रत की आचार संहिता को और आगे बढ़ाएँ। आपने कहा कन्हैयालाल चिप्पड़ को केंद्र में कार्य करने का विशेष पदभार दिया गया, यह हमारे लिए खुशी की बात है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा ‘अणुव्रत की दार्शनिक पृष्ठभूमि’ ग्रंथ पर आधारित प्रतियोगिता में सभी को भाग लेने की प्रेरणा दी।
शासनश्री साध्वी मंजुरेखा जी ने कहा कि अणुव्रत जीवनशैली है। छोटे-छोटे व्रत जीवन में संस्कारों का निर्माण करते हैं। भारतीय संस्कृति में त्यागपूर्ण विचारों का हमेशा आदर्श रहा है। जागृत जीवन की उपलब्धि हैअणुव्रत।
साध्वी मंजुरेखा जी, साध्वी उदितप्रभा जी, साध्वी निर्भयप्रभा जी और साध्वी चेलनाश्री जी ने गुरुदेव तुलसी द्वारा रचित सुमधुर गीत प्रस्तुत किया।
अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शांतिलाल पोरवाल ने कहा कि मुझे शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी, साध्वी मंजुरेखा जी आदि साध्वीवृंद से विशेष ऊर्जा मिलती है। मैं सभी साथियों के सहयोग से सारे कार्यक्रम विराट रूप में आगे बढ़ता रहूँ, यह आशीर्वाद चाहता हूँ। तेरापंथ सभा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष माणकचंद मूथा एवं अणुव्रत विश्व भारती के संगठन मंत्री कन्हैयालाल चिप्पड़ ने अपने विचार रखे। मंत्री माणकचंद संचेती ने संचालन किया एवं संगठन मंत्री हरकचंद ओस्तवाल ने आभार ज्ञापन किया। प्रवीण, धमेन्द्र बरलोटा भी उपस्थित थे।