साध्वी चंद्रिकाश्री जी का देवलोकगमन

साध्वी चंद्रिकाश्री जी का देवलोकगमन

जयपुर
साध्वी चंद्रिकाश्री जी का जयपुर में 19 नवंबर, 2021 को देवलोकगमन हो गया। इनका जन्म 25 दिसंबर, 1975 पुणे (महाराष्ट्र) में बसंतीदेवी विजय राज मरलेचा के घर में हुआ। विवाह के पश्‍चात इनमें वैराग्य का बीज अंकुर हुआ और 5 साल तक पारमार्थिक शिक्षण संस्था में रहने के पश्‍चात विक्रम संवत् 2063 माघ शुक्ल दशमी के दिन बीकानेर में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी द्वारा इन्हें दीक्षित किया गया। तेरापंथ धर्मसंघ में मुनि प्रबोध कुमार जी (मामा), साध्वी जिनप्रभा जी, साध्वी संवरविभा जी इनके ज्ञातिजन हैं। दीक्षित होने के पश्‍चात गुरुकुलवास में साध्वी जिनप्रभा जी के साझ में इन्हें रहने का अवसर प्राप्त हुआ। चंद्रिकाश्री जी द्वारा गमों का थोकड़ा, तत्त्व दीपिका, तत्त्वज्ञानतीन पायदान आदि पुस्तकों के संपादन में भी सक्रिय सहभागिता रही। तत्त्वज्ञान में गहरी पकड़ रखने वाले साध्वी चंद्रिकाश्रीजी दसवेंकालिक, उत्तराध्ययन, निशीथ, आचरांग, भगवती, ठाणं, समवाओ, रायपसेणइयं, पन्‍नवणा, जीवाभिगम आदि 11 उपांगों का वाचन किया। आपने जैनोलॉजी में एम0ए0 एवं षट्वर्षीय तत्त्वज्ञान पाठ्यक्रम प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया। आप प्रतिदिन 500 गाथाओं का स्वाध्याय एवं एक-डेढ़ घंटा नियमित जप अनुष्ठान करती थी। इसके अलावा इन्हें सिलाई, रंगाई, लोच, मुख-वस्त्रिका आदि का निर्माण कार्यों में भी अभिरुचि एवं दक्षता थी। आपने परमपूज्य आचार्यप्रवर के साथ राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, नागालैंड, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि प्रांतों एवं नेपाल, भूटान देशों की यात्रा की। 15 वर्ष के दीक्षा पर्याय के पश्‍चात असाध्य बीमारी के कारण 19 नवंबर, 2021 को जयपुर के अणुविभा में कालधर्म को प्राप्त हो गई।