साध्वी चंद्रिकाश्री जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

साध्वी चंद्रिकाश्री जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार

चंद्रिकाश्री मनभाई

 साध्वी प्रबुद्धयशा 

महाश्रमण प्रभु रै शासन मे, नैया पार लगाई॥

भिक्षु भूमि कंटालियै रो थे, गौरव शिखर चढ़ायो,
महाप्रज्ञ प्रभुवर रै हाथा, संयम जीवन पायो।
जयाचार्य निर्वाण भूमि में तप री अलख जगाई॥
मंत्रीमुनिवर स्मृति कक्ष में परम समाधि पाई॥

परम आत्मबल पायो हो थे गुरु शक्‍ति भी भारी,
समतायोगी गुरुवचनों से जीवन नैया जारी।
कार्तिक पूनम रै पावन दिन, अग्रिम यात्रा भाई॥

सेवाभावी मनोबली संयम में हा रंगराता,
मुख पर हरपल एक ही वाणी गुरु से गहरा नाता।
ओम भिक्षु ओम भिक्षु स्वामी, जाप सदा सुखदाई॥

कार्यदक्ष, कर्मठ, उत्साही मधुरी थांरी बोली,
महाश्रमणीजी री वत्सलता पाई थे अनमोली।
सहज सरल सादा जीवन अरु तत्त्वज्ञान गहराई॥

गुरुकुलवासी गुरुदिलवासी साध्वी चंद्रिकाश्री,
हँसती खिलती रहती हलपल साध्वी चंद्रिकाश्री,
अच्छा सतियाँ, अच्छा सतियाँ, महाश्रमण री वाणी।
अच्छा सतियाँ लाग्या म्हानै, गुरुवाणी वरदाई॥