अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-14 : चारित्र में ज्ञान कितने होते हैं?
उत्तर : प्रथम चार चारित्र में दो, तीन, चार ज्ञान हो सकते हैं। यथाख्यात में दो, तीन, चार व एक हो सकता है। चारित्र में क्षयोपशमजन्य अज्ञान नहीं होता।

प्रश्‍न-15 : चारित्र में श्रुत ज्ञान कितना हो सकता है?
उत्तर : परिहार विशुद्धि चारित्र वाले जघन्य नौवें पूर्व की तीन आचार वस्तु, उत्कृष्ट कुछ कम दस पूर्व का अध्ययन करते हैं। शेष चार चारित्र जघन्य-आठ प्रवचनमाला, उत्कृष्ट चौदह पूर्व। यथाख्यात चारित्र वाले (केवली) श्रुत व्यतिरिक्‍त ज्ञान वाले भी होते हैं।