साध्वी चंद्रिकाश्री जी के प्रति आध्यात्मिक उद्गार
अर्हम्
साध्वी राजीमती
जीवन में अनेक व्यक्तियों से मिलना होता है, परंतु कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं, जो अपनी छाप छोड़ जाते हैं। साध्वी चंद्रिकाश्री जी वैसी ही एक साध्वी थी। लाडनूं चातुर्मास सन् 2014 में एक छोटा सा परिचय हुआ, कुछ सुना, कुछ जाना कि ये एक कर्मठ, कलाकार, पुरुषार्थी, सेवाभावी साध्वी थी और अच्छी गायिका भी।
जन्म लेते समय तो सभी कोरे कागज की तरह आते हैं पर जाते समय उस कागज पर अपनी पूरी कहानी लिखकर जाते हैं। साध्वी चंद्रिकाश्री जी ने जीवन कहानी लिखते-लिखते कहानी का अंतिम पेराग्राफ बहुत प्रेरक बना दिया। क्योंकि उन्होंने अपनी बीमारी के साथ एक सात्त्विक लड़ाई लड़ी और उसमें विजयी बनी।
स वे पुण्यात्मा थी संयमरत्न मिला। स वे पुण्यात्म थी आचार्यों की सेवा का ऐसा सुयोग मिला। स वे पुण्यात्मा थी साध्वीप्रमुखाश्री जी का शुभ सान्निध्य और शासनश्री साध्वी जिनप्रभाजी का संरक्षण मिला। स तेरापंथ धर्मसंघ की एक अच्छी साध्वी, अच्छी संयम यात्रा संपन्न करके विदा हो गई।
उस आत्मा के ऊर्ध्वारोहण के लिए मंगलकामना।