अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-16 : चारित्र में शरीर कितने होते हैं?
उत्तर : प्रथम दो चारित्र में औदारिक, तैजस् व कार्मणये तीन, वैक्रिय सहित चार व आहारक सहित पाँच शरीर होते हैं। अंतिम तीन में तीनऔदारिक, तैजस् व कार्मण शरीर पाते हैं।

प्रश्‍न-17 : चारित्र में लेश्या कितनी होती हैं?
उत्तर : सामायिक, छेदोपस्थापनीय में छह, परिहार विशुद्धि में तीन शुभ तथा सूक्ष्म संपराय व यथाख्यात में एक शुक्ल लेश्या होती है। परिहार विशुद्धि में तीन शुभ लेश्या उसमें प्रवेश व संपन्‍नता के समय की अपेक्षा से ली गई है। मध्यवर्ती काल में छह ही लेश्या हो सकती है। यथाख्यात वाले अलेशी भी होते हैं