अच्छी बातों को सुनकर जीवन में उतारने का प्रयास करें : आचार्यश्री महाश्रमण
पराना, 19 दिसंबर, 2021
अखंड परिव्राजक, महायोगी, आचार्यश्री महाश्रमण जी सवाईमाधोपुर को पावन बनाने के उपरांत 14 किमी का विहार कर टोंक जिले के पराना गाँव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे।
प्रवचन में आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि जिसके श्रवणेंद्रिय है, वह प्राणी पंचेंद्रिय है। कान है, तो अन्य अंग होंगे ही होंगे। पाँच इंद्रियाँ हैंस्पर्शनेंद्रिय, रसेंद्रिय, घ्राणेंद्रिय, चक्षुरिन्द्रिय और श्रोतेंद्रिय। जिसके केवल स्पर्शनेंद्रिय है, वह प्राणी सबसे कम विकास वाला है, ये पाँच प्रकार के स्थावर जीव होते हैं। ये एकेंद्रिय जीव होते हैं। विकास के क्रम में द्विन्द्रिय, तीन इंद्रिय, चार इंद्रिय और पाँच इंद्रिय वाले प्राणी आते हैं। चार इंद्रियों तक वाले प्राणी सकलेंद्रिय नहीं है, विकलेंद्रिय है। जिनके पाँचों इंद्रिय होते हैं, वे सकलेंद्रिय प्राणी होते हैं। मनुष्य, देवता, नारकीय व तिर्यंच पंचेंद्रिय सकलेंद्रिय होते हैं। शास्त्र में कहा गया है कि सुनकर आदमी कल्याण को, अच्छी बात को, हितकारी चीज को जान लेता है। सुनकर आदमी पापकारी प्रवृत्तियों को भी जान लेता है। केवल जानना विकृति नहीं है। ज्ञान तो अपने आपमें क्षयोपशम भाव है। ज्ञान अपने आपमें शुद्ध-निर्मल तत्त्व होता है। तीन शब्द हैंहेय, उपादेय और ज्ञेय। ज्ञेय यानी जानने लायक, हेय यानी छोड़ने लायक और उपादेय यानी ग्रहण करने लायक। जानने लायक तो सभी पदार्थ हैं। नौ ही तत्त्व ज्ञेय हैं। जानने के बाद हेय कितने और उपादेय कितने हैं। आश्रव, पुण्य, पाप और बंध हेय है। संवर, निर्जरा और मोक्ष उपादेय है। हेय को छोड़ने का और उपादेय को अपनाने का प्रयास हो। जीव-अजीव को भी हेय मान सकते हैं। सुनकर आदमी कल्याण और पाप दोनों को जान लेता है। जो श्रेय है, उसका आचरण करना चाहिए, बुरे का परित्याग रखना चाहिए। श्रवण शक्ति अच्छी है, यह श्रोतेंद्रिय की सक्षमता है। आदमी की पाँचों इंद्रिय परिजीर्ण होती जा रही हैं। इसलिए गौतम! समय मात्र प्रमाद मत करो। अच्छी बात सुनने से प्रेरणा मिल सकती है, यह एक प्रसंग से समझाया कि ‘बहुत गयी, थोड़ी रही, रंग में भंग मत करो।’ यह वाक्य बहुत बड़ी प्रेरणा देने वाला है। हम कानों से सुनें और अच्छी बात ग्रहण करने का प्रयास करें। यह हमारे लिए हितकर या अहित से बचाने वाला हो सकता है। बराना के लोगों को पूज्यप्रवर ने अहिंसा यात्रा के संकल्पों को समझाकर स्वीकार करवाए। पूर्व विधायक मोतीलाल मीना जो प्राय: गुरुदेव की सेवा में आते रहते हैं, उन्होंने अपनी भावना अभिव्यक्त की। उन्होंने संकल्प किया है कि मैं अपने समाज में नशामुक्ति लाने का प्रयास करूँगा। मंगल प्रवचन के उपरांत आचार्यश्री अल्पकालीन विश्राम कर लगभग ढाई बजे सान्ध्यकालीन विहार के लिए गतिमान हुए। मार्गवर्ती गाँव
के लोग आचार्यश्री के दर्शन और मंगल आशीर्वाद से लाभान्वित हुए। इस क्षेत्र में मार्ग के दोनों ओर दूर-दूर तक सरसों की फसल लहलहा रही थी। उनके पीले फूलों ने मानों पूरी धरती को पीले आवरण से ढंक रखा था। लगभग सात किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री बरोनी गाँव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे और इस परिसर में रात्रिकालीन प्रवास किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।